कोलेस्ट्रॉल क्या होता है ?इसके प्रकार कारण,लक्षण, उपाय

  • कोलेस्ट्रॉल एक मोम जैसा पदार्थ होता है जो की हमारे लिवर से उत्पन होता है।यह मनुष्य तथा पशु दोनों मैं पाया जाता है।यह कोशिका झिल्ली (cell membrane) समेत हर भाग मैं पाया जाता है।
  • कोलेस्ट्रॉल का लगभग 25% उत्पादन हमारे लिवर द्वारा ही होता है।
कोलेस्ट्रॉल
इसमे जो पीला पदार्थ है वो कोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा है जो रक्त के प्रवाह को रोक रहा है।

कोशिका झिल्ली(cell membrane)

यह कोशिका का बाहरी आवरण होता है।यह लिपिड और प्रोटीन का बना होता है यह तरल पदार्थ को अंदर और बाहर ले जाने का कार्य करते है।कॉलिस्ट्रोल कोशिका झिल्ली का एक महत्वपूर्ण भाग होता है।क्योंकि तरलता लाने मैं इसकी आवश्यकता होती है।

कोलेस्ट्रॉल के प्रकार

LDL की मात्रा 100 mg/dL से कम होनी चाहिए
HDL की मात्रा 60 mg/dL से अधिक नही होनी चाहिए

Low Density Lipoprotein (LDL)

  • इसे हम बुरा कोलेस्ट्रॉल के नाम से भी जानते है इसका निर्माण भी लिवर मैं होता है।इसका कार्य वसा को लीवर से शरीर के अन्य भागों मांशपेशियों, ह्रदय, तथा इंद्रियों तक पहुचाना है।
  • इसकी अधिक मात्रा से यह रक्त की नलियों मैं जमना शुरू हो जाता है और नली के छिद्र को बंद कर देता है जिससे की हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है ।
  • इसके बढ़ने से यह हदय तथा दिमाग तक रक्त पहुचाने वाली धमनियों मैं जमा हो जाता है जिससे की हार्ट अटैक तथा ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
  • LDL कोलेस्ट्रॉल(बुरा कॉलिस्ट्रोल) की मात्रा हमारे शरीर मे 100 mg/dL से कम होना चाहिए।

High-density lipoprotein(HDL)

  • (हाई डेनसिटी लिपोप्रोटीन्स) को अच्छा कोलेस्ट्रॉल माना जाता है।इसका उत्पादन भी यकृत ही से होता है।जो कोलेस्ट्रॉल और पित्त को ऊतकों और इंद्रियों से पुनष्चक्रित करने के बाद वापस लिवर में पहुंचाता है। 
  • एच डी एल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा का अधिक होना एक अच्छा संकेत है, क्योंकि इससे हृदय के स्वस्थ होने का पता चलता है।
  •  एच डी एल कोलेस्ट्रॉल का स्तर ६० मिली ग्राम/डीएल से अधिक नहीं होनी चाहिए। 

very low-density lipoprotein (VLDL)

  •  (वेरी लो डेनसिटी लिपोप्रोटीन्स) शरीर में लिवर से ऊतकों और इंद्रियों के बीच कोलेस्ट्रॉल को ले जाता है।
  • वी एल डी एल कोलेस्ट्रॉल, एल डी एल कोलेस्ट्रॉल से ज्यादा हानिकारक होता है। यह हृदय रोगों का कारण बनता है।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण

अन – हेल्थी डाइट
अगर हमारे शरीर मैं संतृप्त वसा का पूरा इस्तेमाल होता है तो भी कोलेस्ट्रॉल पैदा हो सकता है। संतृप्त वसा ऐसे भोजन में पाई जाती है जिनमें कोलेस्ट्रॉल और फैट की मात्रा ज्यादा होती है। जैसे लाल फैटी मांस, मक्खन, पनीर, केक, घी आदि । इनको ज्यादा खाने से बचें और इस प्रकार के ज्यादा वसा वाले पदार्थों का सेवन कम करें।

वंशानुगत
आपके परिवार में यफी किसी को हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या रही हो तो यह आपके लिए भी चिंता का कारण है। यह आनुवंशिक हाई कोलेस्ट्रॉल भी पूर्व ब्लॉकेज और स्ट्रोक का कारण बनता है।

ज्यादा आलसीपन
जो लोग अपना पूरा दिन बैठे रहने मैं और लेटने में बिताते हैं तो उनमें भी हाई कोलेस्ट्रॉल का खतरा ज्यादा होता है। एक एक्टिव लाइफ ट्राइग्लिसराइड्स को कम कर आपको अपना वजन संतुलित रखने में मदद करती है।

शराब का अधिक सेवन
ज्यादा शराब का सेवन करने से लीवर और हार्ट की मांसपेशियों को नुकसान पहुँच सकता है जो कि हाई ब्लड प्रेशर का कारण बनता है और शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढाता है।

धूम्रपान
ज्यादा धूम्रपान कोलेस्ट्रॉल के लेवल को बढ़ाने का एक मुख्य कारण है। यह अच्छे कोलेस्ट्रॉल(HDL) को कम करते हुए आपकी उम्र को कम करती है।

ज्यादा तनाव मैं रहना
जब लोग अधिक तनाव महसूस करते है तो अपने आपको तसल्ली देने के लिए स्मोकिंग, शराब का सेवन और फैटी खाने का सेवन करते हैं। इसलिए लम्बे समय तक तनाव ब्लड कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने का कारण बनता है।

अधिक मोटापा
मोटापा या थोडा ज्यादा वजन का होना भी हाई कोलेस्ट्रॉल का कारण है। इसके अतिरिक्त यह आपकी सोशल लाइफ को ख़त्म करते हुए यह ट्राइग्लिसराइड्स को भी बढ़ा देता है जो की आगे जाकर ब्लॉकेज का कारण बनता है। इसलिए, हाई कोलेस्ट्रॉल के खतरे को कम करने के लिए अपने वजन को नियमित रखना जरूरी है।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण

सिर में दर्द

आप अक्सर सिरदर्द से परेशान रहते हो या आपको कभी सिर बहुत हल्का लगता है, तो ये बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल के लक्षण हो सकते हैं। क्योंकि कोलेस्ट्रॉल के कारण सिर की सभी नसों में प्रॉपर ब्लड सप्लाई नहीं हो पाती है, तो ऐसी समस्या आती है। इसी कारण सिर में दर्द और चक्कर आने या संवेदना खोने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

थोड़ी सी मेहनत पर ज्यादा साँस फूलना

थोड़े से काम या मेहनत करने के बाद आपकी सांस फूलने लगती है, तो कोलेस्ट्रॉल बढे होने का संकेत हो सकता है। सांस फूलने या थकावट होने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन फिर भी आपको अपने कोलेस्ट्रॉल की जाँच अवश्य करानी चाहिए। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण आप ज्यादा काम किए बिना ही थकावट महसूस करने लगते हैं।अधिकतरमोटे लोगों को ये समस्या अधिक होती है।

मोटापा

अगर आपको ऐसा महसूस होता है कि आप बिना किसी कारण के अचानक से मोटे होने लगे हैं, तो ये भी कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का संकेत हो सकता है। इसके अलावा पेट में भारीपन महसूस करते हैं या सामान्य से ज्यादा पसीना आता है और गर्मी लगती है, तो आपको अपना कोलेस्ट्रॉल चेक करवाना चाहिए।

सीने में दर्द या बेचैनी होना

कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से मुख्य रूप से दिल की बीमारियों और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है। इसलिए अगर आपको सीने में दर्द महसूस हो या बेचैनी हो या दिल की धड़कन मैं अचानक से तेजी आने लगे, तो ये आपके शरीर मे कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के संकेत हो सकते हैं। इसे नजरअंदाज ना करे इसलिए ऐसी स्थिति में तुरंत चिकित्सक से जांच करवाएं और अपना कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करें।

हाथ पैर मैं सिरहन महसूस होना

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर यह हमारे शरीर मे रक्त प्रवाह मैं बाधा बनता है इससे शरीर के विभिन्न अंगों मैं खून का प्रवाह नही हो पाता जिस कारण से उन अंगों मैं सिरहन या झुनझुनी सी महसूस होती है।ऐसा महसूस होने पर आपको अपना कोलेस्ट्रॉल चेक कराना चाहिए।

कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए क्या करे

इन चीजों से दूर रहे

खाने का रखे ख्याल
कोलेस्ट्रॉल को अगर नियंत्रण मैं रखना है तो स सबसे पहले आपको अपने खानपान का ध्यान रखना होगा । आप अपने खान पान मैं बदलाव करके उसमें फल व सब्जियों की मात्रा बढ़ाए जो आपके बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने मैं काफी लाभदायक होता है।

हल्की भूख लगने पर नट्स का सेवन
आपको जब भी हल्की सी भूख का अहसास होता है तो आप बाहर के खाने से अच्छा बादाम ,अखरोट,पिस्ता आदि का सेवन करेंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा। नट्स मैं मोनोअनसैचुरेटेड वसा उच्च मात्रा पाया जाता है। जो आपके बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करता है

अनसैचुरेटिड फैट
मानव के शरीर को अपनी डाइट में कुछ हद तक फैट की जरूरत होती है, लेकिन साथ ही यह भी जरूरी होता है कि आप किस प्रकार का फैट ले रहे हैं। कैनोला व जैतून के तेलों में अनसैचुरेटिक फैट पाया जाता है, जो LDLको कम करके HDLको बढ़ाने का काम करता है। वही सैचुरेटिड फैट जो अमूमन मीट, फुल फैट डेयरी व बटर आदि में पाया जाता है, वह LDLको बढ़ाता है।

एक्सरसाइज करना
स्वस्थ रहने के लिए खाने के साथ−साथ हमारे शरीर को व्यायाम की भी बेहद आवश्यकता होती है। अगर आप दिन भर में महज आधा घंटा भी एक्सरसाइज करते हैं तो इससे आपके शरीर में HDL का स्तर बढ़ने लगता है। साथ ही जब आप एक्टिव हो जाते हैं तो इससे आप हेल्दी वेट मेंटेन कर पाते हैं और आप कई बीमारियों से बेहद आसानी से दूर हो जाते हैं।

दिन की शुरुआत
आप दिन की शुरुआत जिस प्रकार से करेंगे उसी का व्यापक असर आपके सेहत पर पड़ता है। आप नाश्ते मैं दलिया खा सकते है इससे आपका बैड कोलेस्ट्रॉल तो कम होगा ही साथ मैं आपको अधिक समय के लिए पेट भरे होने का अहसास भी दिलाएगा।

कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण मैं लाने के लिए क्या खाएं

कोलेस्ट्रॉल
कॉलेस्ट्रॉल के लिए फल और हरी सब्जियां लाभदायक

अलसी
अलसी के बीज कलेस्ट्रॉल को कम करने में काफी मददगार होते हैं। बेहतर होगा कि आप साबुत बीज की जगह पर पिसे हुए बीज का सेवन करें।

ग्रीन टी
ग्रीन टी कलेस्ट्रॉल को कम करने में काफी सहायक होती है।

प्याज
हाई कलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में लाल प्याज काफी फायदेमंद होता है। एक चम्मच प्याज के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें।

आंवला
एक चम्मच सूखे आंवला के पाउडर को एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर सुबह-सुबह पीने से कलेस्ट्रॉल कम होता है।

नारियल का तेल
कलेस्ट्रॉल कम करने के लिए रोज खाने के साथ आर्गेनिक नारियल के तेल का एक से दो चम्मच इस्तेमाल करें। रिफाइंड या प्रोसेस्ड नारियल के तेल का इस्तेमाल न करें।

बादाम बहुत लाभकारी
6-7 बादाम रोज खाने से भी कॉलेस्ट्रॉलकम होता है। बेहतर होगा कि शाम को बादाम भिगो दें और सुबह उनका सेवन करें।

अंकुरित दालों का सेवन
राजमा, चने, मूंग, सोयाबीन और उड़द इत्यादि को अंकुरित कर सलाद के तौर पर इस्तेमाल करें तो भी कॉलेस्ट्रॉल कम होगा।

डार्क चॉकलेट
डार्क चॉकलेट में पाए जाने वाले एंटी-ऑक्सीडेंट्स से रक्त नलिकाएं मजबूत बनती हैं। इसका सेवन करने से भी कलेस्ट्रॉल कम हो सकता है।

हरी पत्तेदार सब्जियां
हरी पत्तेदार सब्जियों में विटामिन ए,बी और सी के अलावा आयरन और कैल्शियम भी पाया जाता है। इनका सेवन करने से कॉलेस्ट्रॉल कम होता है।

चोकर वाली रोटी
बिना चोकर अलग किए गए आटे से बनाई गईं रोटी से भी आप अपना कलेस्ट्रॉल कम कर सकते हैं।

सोयाबीन
सोयाबीन से बनी चीजें जैसे सोया मिल्क, सोया दही, सोया टोफू, सोया चंक्स आदि चीजों को अपने खाने में शामिल करें। इससे आपका कोलेस्ट्रॉल कम होगा।

डेयरी उत्पाद
दूध, दही, छांछ आदि को अपनी डायट में शामिल करे यह कोलेस्ट्रॉल कम करने मे मदद करते है।

कोलेस्ट्रॉल की जाँच

कोलेस्ट्रॉल
  • 20 साल की उम्र से अधिक उम्र वालो को प्रत्येक 5 साल में टेस्ट ज़रूर करवाना चाहिए.
  • टेस्ट में लिपोप्रोटीन टेस्ट करवाना ज़रूरी होता है, जिससे आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल पता चलता है( LDL व HDL )यह भी देखा गया है कि मेनोपॉज़ से पहले एक ही उम्र के स्त्री-पुरुषों में इसका स्तर अलग-अलग होता है. स्त्रियों में पुरुषों के मुक़ाबले कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है.
  • लेकिन मेनोपॉज़ के बाद स्त्रियों में पुरुषों की अपेक्षा इसका स्तर काफ़ी ज़्यादा पाया जाता है.
  • ऐसे में मेनोपॉज़ के बाद महिलाओं को अपने स्तर पर ख़ास ध्यान देना चाहिए.

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