Medieval India Notes PDF / हुमायुं (Humayun) और शेर शाह सूरी
Medieval India Notes PDF / हुमायुं (Humayun) दोस्तों आज का हमारा टॉपिक है हुमायुं (Humayun) और शेर शाह सूरी जो की मध्यकालीन इतिहास का एक बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक होता है और इस टॉपिक से विभिन्न परीक्षाओ मैं सवाल पूछे जाते है तो हमने इससे सम्बंधित महत्वपूर्ण बिन्दुओ पर चर्चा की है जो आपके आने वाले प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होंगे |
👉 हुमायुं(Humayun) बाबर के 4 बेटों में से सबसे बड़ा था। बाबर के कहने पर हुमायुं ने अपने राज्य को 4 भाइयों में बांट दिया। जो हुमायुं की सबसे बड़ी भूल शाबित हुआ।
Medieval India Notes PDF / हुमायुं (Humayun)
हुमायूँ (Humayun) के लिए चुनौती
1. राज्य का बँटवारा
2. धन की कमी
3. राजपूत का विरोध
4. अफगान
👉 बाबर ने अफगान शासकों का पूर्णतः सफाया नहीं किया था, जिस कारण अफगान शासक हुमायुं के लिए सबसे बड़ा खतरा बने लगे। हुमायूँ का राज्याभिषेक 1530 ई. में हुआ।
👉 हुमायु (Humayun) का प्रारम्भिक शासन शांतिपुर्ण था। किन्तु हुमायुं के ही प्रमुख विरोधी थे एक गुजरात का शासक बहादुर शाह तथा एक बिहार का शासक शेरशाह सूरी।
👉 हुमायूं (Humayun) ने सर्वप्रथम पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर के साथ हिस्सा लिया था, यह उसके जीवन का प्रथम युद्ध था। चितौड़ की रानी, कर्णवाही ने गुजरात के शासक बहादुर शाह के अत्याचार से बचने के लिए हुमायुं से मदद मांगी और भेंट स्वरूप उसे राखो दिया।
👉 हुमायूं (Humayun) कर्णवाहि की रक्षा के लिए सेना लेकर चल दिया किन्तु कालींजर के शासक प्रताप रूद्र देव से हुमायूँ का युद्ध हो गया और हुमायूँ के पहुँचने में देर हो गयी तब तक कर्णवाहि जौहर कर चुकी थी।
👉 हुमायुं वहादुर शाह को पराजित करने के लिए 1531 में सर्वप्रथम कालिंजर अभियान किया।
👉 कालिंजर अभियान हुमायूँ का शासक बनने के बाद पहला अभियान था ।
👉 हुमायुं का अफगानों के विरूद्ध पहला अभियान 1532 का दोहरिया का अभियान था। जिसमें हुमायुं विजयी रहा।
👉 1538 में हुमायुं ने गौड़ (बंगाल) अभियान किया। इसने बंगाल का नाम जन्नताबाद रखा।
👉 बंगाल अभियान से लौटते समय उसकी सेना पर शेरशाह सूरी ने 1539 में अचानक चूनार की किला के पास चौसा नामक स्थान पर हुमायूँ पर आक्रमण कर दिया। हुमायूं की सेना में भगदड़ मच गयी और पराजय की स्थिति में हुमायुं घोड़ा सहित गंगा नदी में कुद गया। हुमायूं की जान शिहाबुद्दीन निजाम नामक भिस्ती (मल्लाह) ने बचायी इसी कारण उसने शिबुद्दीन निजाम को एक दिन के लिए दिल्ली का शासक बनाया। इसी ने अपने एक दिन के कार्यकाल में चमड़े का सिक्का चलाया।
👉 इसकी जानकारी हुमायुनामा नामक पुस्तक से मिलती है। जिसकी रचना हुमायुं की बहन गुलबदन बेगम ने किया। यह पुस्तक भागों में हैं प्रथम भाग में बाबार तथा द्वितीय भाग में हुमायुं की चर्चा है। यह मुगलकाल की एक मात्र पुस्तक है जिसकी रचना किसी महिला ने की।
👉 1540 ई. में शेरशाह सूरी ने वेलग्राम (कन्नौज) के युद्ध में हुमायुं को हराया और उसे भारत छोड़ने पर विवश कर दिया और 1540 में शेरशाह सूरी ने खुद को दिल्ली का शासक घोषित कर दिया।
👉 भारत से निष्कासन के दौरान हुमायुं ने अपनी गर्भवती पत्नी हमिदा बानों बेगम को अमरकोट (पंजाब) के राजा वोरशाल के दरबार में छोड़कर चला गया। इन्ही के दरबार में 15 अक्टूबर, 1542 को अकबर का जन्म हुआ।
👉 1545 ई. में शेरशाह की मृत्यु हो गयी उसके बाद अफगानी का कोई बड़ा शासक नहीं हुआ।
👉 निर्वासन के दौरान हुमायूं काबुल में रहा। हुमायूँ ने पुनः 1545 ई. में ईरान के शासक की सहयता से कंधार एवं काबुल पर अधिकार कर लिया।
👉 1553 ई. में शेरशाह के उत्तराधिकारी इस्लामशाह की मृत्यु के बाद अफगान साम्राज्य विघटित होने लगा अतः ऐसी स्थिति में हुमायूं को पुनः अपने राज्य प्राप्ति का अवसर मिला।
👉 1555 में लुधियाना के समीप मच्छीवाड़ा के युद्ध में हुमायूं ने अफगान सरदार हैवत खान तथा तातार खान को पराजित करके पंजाब जीत लिया।
👉 1555 ई. में ही सरहिन्द के युद्ध (चण्डीगढ़) के युद्ध में हुमायूं के सेनापति बैरमखान ने अफगान सेनापति सिकन्दरशाह शूर को पराजित कर दिया।
👉 सरहिंद विजय के पश्चात 1555 ई. में एक बार पुनः दिल्ली के तख्त पर हुमायूं को बैठने का सौभाग्य मिला।
👉 हुमायुं ने दिल्ली में दिन पनाह नामक पुस्कालय बनवाया था। इसी पुस्तकालय की सीढ़ियों से गिर कर हुमायुं की मृत्यु हो गयी और 1556 में हुमायुं की मृत्यु हो गयी।
👉 हुमायुं अफीम का सेवन का आदि था। यह ज्योतिष में विश्वास रखता था जिस कारण हर एक दिन अलग-अलग रंग के वस्त्र पहनता था।
👉 हुमायुं के दरबार में दो प्रमुख चित्रकार मीर सैय्यद अली तथा अब्दुल समद रहते थे।
👉 लेनलपू ने लिखा है हुमायूं का अर्थ होता है खुशनसिब व्यक्ति लेकिन हुमायुं जीवन भर लरखराते रहा और लरखराते हुए ही उसकी मृत्यु हो गयी।
👉 हुमायूँ (Humayun) की कब्र ईरानी संस्कृति से प्रभावित है, जिसका वास्तुकार मिर्जा ग्यास बेग था। यह उसकी पत्नी हमीदा बानो बेगम की हुमायूँ को अमूल्य भेंट थी। यह मकबरा दिल्ली में स्थित है।
Medieval India Notes PDF / हुमायुं (Humayun)
👉 शेरशाह सूरी( SHER SHAH SURI ) का बचपन का नाम फरीद खान था। इसके पिता हसन अली थे, जो बिहार के जागिरदार थे और बहलोल लोदी के दरबार में कार्यरत थे।
👉 हसन अली के मृत्यु के बाद शेरशाह सूरी बिहार के नमानी शासकों के दरबार में काम करने लगा।
👉 बहार अली नुमानी ने ही फरीद को शेरशाह सूरी( SHER SHAH SURI ) की उपाधि दिया।
👉 शेरशाह सूरी द्वितीय अफगान वंश का संस्थापक कहा जाता है।
👉 शेरशाह सूरी ने जिस वंश की स्थापना किया उसे सूर वंश कहते हैं। सूर वंश की जानकारी अब्बास खान शेखानी की रचना तौफा-ए-अकबरशाही से मिलती है।
👉 शेरशाह सूरी को मध्यकाल में एक प्रबल प्रशासक के रूप में देखा जाता है।
👉 1538 के बंगाल अभियान के बाद हुमायूं जब लौट रहा था तो 1539 में चौसा नामक स्थान पर शेरशाह ने आक्रमण कर दिया और हुमायुं को पराजित किया। 1540 के विलग्राम (कन्नौज) के युद्ध में हुमायुं को भारत छोड़ने के लिए विवस कर दिया और 1540 में दिल्ली का शासक बन गया। इसने हजरत-ए-आला की उपाधि धारण किया।
👉 1541 ई. में शेरशाह का गक्खर जाति के लोगों से युद्ध हुआ, जिसमें शेरशाह उनकी शक्ति को खत्म तो न कर सका पर उनकी रोकथाम के लिए उसने पश्चिमोत्तर सीमा पर रोहतासगढ़ के किले का निर्माण करवाया। गक्खर लोग अपनी वीरता एवं साहस हेतु प्रसिद्ध थे एवं लूटपाट करते थे।
👉 शेरशाह ने 1542 ई. में मालवा पर आक्रमण कर उस पर अधिकार कर लिया।
👉 1543 ई. में शेरशाह ने रायसीन पर आक्रमण किया। माना जाता है कि शेरशाह ने इस अभियान में धोखे से राजपूत शासक पूरनमल को मार डाला। पूरनमाल की मृत्यु के बाद राजपूत स्त्रियों ने जौहर कर लिया। रायसीन की यह घटना शेरशाह के चरित्र पर एक कलंक माना जाता है।
👉 1544 ई. में शेरशाह सूरी ने मेवाड अभियान किया और यहां के शासक मालदेव को पराजित किया। मेवाड़ विजय कठिन होने के कारण शेरशाह सूरी ने कहा कि मैं एक मुट्ठी बाजरे के लिए पूरे भारत को खो चुका था।
👉 1545 ई. में शेरशाह सूरी ने कलिंजर अभियान किया। यह अभियान एक दासी (Dancer) के लिए था। जिसे राजा कीरत सिंह ने देने से मना कर दिया था। इस अभियान के दौरान शेरशाह सूरी के सेना द्वारा छोड़े गये तोप का गोला कलिंजर की किला से टकराकर वापस शेरशाह सूरी के समीप आ गिरा। जिससे शेरशाह सूरी की मृत्यु हो गयी। कलिंजर का वर्तमान नाम महोबा है। यह MP में है। शेरशाह सूरी को सासाराम में दफनाया गया।
👉 इसक बेटा इस्लामशाह योग्य था किन्तु 1553 में आकस्मिक मृत्यु हो गयी।
👉 इसके बाद फिरोजशाह शासक बना जिसे उसके मामा (मुबारिज खान) ने मरवा दिया।
👉 शेरशाह सूरी के बाद कोई भी योग्य शासक नहीं बना और इस वंश का अंतिम शासक सिकन्दर शाह सूरी था।
Medieval India Notes PDF / हुमायुं (Humayun)
👉 शेरशाह सूरी ( SHER SHAH SURI ) एक प्रबल प्रशासक था इसने बहुत से सुधार किये। इन सारे सुधार को अकबर ने भी अपनाया था। इसी कारण शेरशाह सूरी को अकबर का पथ प्रदर्शक (रास्ता दिखाने वाला) या अकबर का पुरोगामी शासक कहा जाता है। टोडरमल शेरशाह सूरी के दरबार में भी सेवा दे चुके थे।
👉 शेरशाह सूरी( SHER SHAH SURI ) ने पाटलीपुत्र का नाम बदलकर पटना रखा। इसने Grand Trank (G.T.) Road को बनवाया किया। इसने किसानों से सीधा सम्पर्क स्थापित करने के लिए रय्यतवाड़ी व्यवस्था शुरु किया। यह किसानों को रय्यत कहकर बुलाता था।
👉 कर की चोरी न हो इसलिए उसने भुमि की नाप करवायी इस व्यवस्था को जाब्ती व्यवस्थ कहा गया।
👉 इसने पट्टा एवं कबुलियत नामक नयी व्यवस्था शुरु की। पट्टा पर कर का विवरण रहता था कितना कर लिया जाएगा और किस समय लिया जाएगा।
👉 कबूलियत वह दस्तावेज था जिस पर किसान इस बात की सहमति देता था कि वह पट्टा में दिये गए कर को देन में सहमत है।
👉 भूमि की माप कराने के लिए जरिबान नामक कर लिया जाता था, जो किसान भूमि का माप नहीं कराता था उसे महाविलाना नामक कर लिया जाता था।
👉 शेरशाह सूरी के समय जौनपुर शिक्षा का सबसे बड़ा केन्द्र था। इसे भारत का शिराज (सर का ताज) कहा जाता था।
Medieval India Notes PDF / हुमायुं (Humayun)
👉 शेरशाह सूरी ने सोने का जो सिक्का चलाया उसे असरफी या मोहरा कहा जाता है। शेरशाह सूरी ने जो चांदी का सिक्का चलाया उसे रुपया कहा गया। इसके तांबे के सिक्का को दाम कहा जाता था। इसने भूमि की जांच करने के लिए एक कानूनगो नामक अधिकारी की नियुक्ति किया। इसने दिल्ली में किला-ए-कुहना नमक मस्जिद का निर्माण कराया। इसे ही पुराना किला के नाम से जाते हैं। इतिहासकार कहते हैं कि शेरशाह सूरी के समय यदि कोई औरत आधी रात को सोना लेकर जाती है, तो कोई भी व्यक्ति उसके सोना को छूने की हिम्मत नहीं कर सकता है।
👉 यह इस बात की ओर इशारा करता है कि शेरशाह सूरी के समय पुलिस व्यवस्था बहुत अच्छी थी। इसके कठोर न्याय तथा दण्ड व्यवस्था के कारण अपराध बहुत कम होते थे।
👉 शरेशाह के समक्ष अमीर-गरीब मित्र, दुश्मन सभी एक समान होते थे।
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