UTTARAKHAND ONE LINER HINDI -7 / उत्तराखंड राज्य के प्रतीक चिह्न
UTTARAKHAND ONE LINER HINDI -7 / उत्तराखंड राज्य के प्रतीक चिह्न in the exam point . We are going to share 50 + important one liner in this post. Complete the all practice set of this topic GK questions of this post UTTARAKHAND ONE LINER HINDI -7 / उत्तराखंड राज्य के प्रतीक चिह्न very helpful for various government exams e.g. group c, UKSSSC, State PSC, ,Patwari, Samvida, UK Police, SI, UTET, TET, Army, Leakhpal kanisk sahay, Vyapam etc. General Knowledge or uttarakhand Samanya Gyan is very important section to crack any GOVT exam. I. These one liner contain the previous year asked questions in various govt exams, so practice these ONE LINER Get also all other subjects GK Questions and Answers in ONE LINER format
- शासकीय कार्यों में जिस चिह्न का प्रयोग करते है वह राज्य चिह्न होता है
- राजकीय चिह्न हीरे के आकार या समचतुर्भुज जैसा प्रतीत होता है
- राज्य चिह्न में तीन पर्वत चोटियां दिखाई देती हैं जिसमें बीच वाली सबसे ऊँची चोटी पर लाल पृष्ठ में अशोक की लाट अंकित है
- अशोक की लाट के नीचे संस्कृत भाषा में सत्यमेव जयते लिखा गया है जो मुण्डकोपनिषद से लिया गया है।
- राज्य चिह्न के बीच वाले भाग में श्वेत पृष्ठ पर चार जल धाराओं को नीले रंग में दिखाया गया है यह जलधारायें राज्य की गंगा, यमुना, राम गंगा एवं काली नदियों को दर्शाती है
- पृष्ठ का लाल रंग शहीद राज्य आन्दोलनकारियों के रक्त का प्रतीक है और श्वेत रंग की पृष्ठभूमि शांति प्रिय प्रवृति वाले उतराखण्डवासियों का प्रतीक है
- राज्य चिह्न के सबसे नीचे नीले रंग में उत्तराखण्ड राज्य अंकित है
- यह प्रतीक चिह्न उत्तराखण्ड शासन के सभी दस्तावेजों में प्रयुक्त किया जाता है।
- उत्तराखण्ड का राज्य गीत – उत्तराखण्ड देवभूमि मातृभूमि शत शत वंदन अभिनंदन
- उत्तराखण्ड का राज्य गीत 6 फरवरी 2016 हेमन्त बिष्ट द्वारा लिखित है
- राज्य गीत की अवधि 9 मिनट है।
- राज्य गीत चयन समिति के अध्यक्ष थे – लक्ष्मण सिंह बटोही
- राज्य गीत में आवाज श्री नरेन्द्र सिंह नेगी व अनुराधा निराला जी ने दी है।
- कस्तूरी मृग को हिमालयन का मस्क डियर भी कहा जाता है।
- कस्तूरी मृग का वैज्ञानिक नाम मास्कस काइसोगास्टर है
- कस्तूरी मृग राज्य के जंगलों में 3600 मी० से 4400 मी० की ऊँचाई पर पाये जाते है
- राज्य में कस्तूरी मृग की 4 प्रजातियां पायी जाती है।
कस्तूरी मृग की विशेषता
- कस्तूरी मृग का रंग भूरा तथा उसमें काले-पीले रंग के धब्बे पाये जाते है
- कस्तूरी मृग के पैर में चार खुर एवं इसके दो बाहर निकले नुकीले दात होते है मृग की ऊँचाई लगभग 20 इंच होती है
- कस्तूरी मृग के सींग नहीं होते है. इनमें आत्मरक्षा के लिए दो नुकीले दाँत होते है
- कस्तूरी मृग के पीछे के पांव आगे के पांव की अपेक्षा लम्बे होते है
- कस्तूरी मृग की विशेषता यह है कि वह अपना निवास स्थान नहीं छोड़ता है
- कस्तूरी मृग को जुगाली करने वाला मृग कहा जाता है।
- कस्तूरी मृग की सूंघने की शक्ति तीक्ष्ण होती है।
- कस्तूरी मृग की औसत आयु लगभग 20 वर्ष होती है
- मादा कस्तूरी मृग की गर्भधारण अवधि 6 माह होती है।
- कस्तूरी मृग का मुख्य भोजन केदारपाती है।
- कस्तूरी नर मृग के गुदा में स्थित ग्रंथि से प्राप्त की जाती है अर्थात कस्तूरी केवल नर मृग में पायी जाती है
- एक मृग से कस्तूरी 3-3 वर्ष के अंतराल में 30 से 45 ग्राम तक प्राप्त किया जा सकता है
- कस्तूरी जो तीन प्रकार की होती है, नेपाल की कस्तूरी कपिल कश्मीर की कस्तूरी पिंगल तथा सिक्किम की कस्तूरी कृष्ण होती है।
- औषधि उद्योग में कस्तूरी का प्रयोग दमा, मिरगी, हृदय सम्बन्धी रोगो की दवाई बनाने में प्रयुक्त होता है यह एक प्राकृतिक रसायन है
- रासायनिक रूप से कस्तूरी मिथाइल ट्राईक्लोरो पेंटाडेकेनाल है
कस्तूरी मृग संरक्षण
- कस्तूरी मृग संरक्षण के लिए 1972 में केदारनाथ वन्य जीव विहार के अन्तर्गत कस्तूरी मृग विहार की स्थापना की गयी
- महरूडी कस्तूरी मृग अनुसंधान की स्थापना 1977 में की गयी जो बागेश्वर जिले में स्थित है।
- सर्वाधिक मात्रा में कस्तूरी मृग अस्कोट वन्य जीव अभ्यारण पिथौरागढ़ में पाये जाते है इसकी स्थापना 1986 में की गयी थी
- चमोली जिले के काँचुला खर्क में 1982 को कस्तूरी मृग प्रजनन एवं संरक्षण केन्द्र की स्थापना की गयी है
- राज्य में वन्य जीव गणना 2005 के अनुसार 279 कस्तूरी मृग थे
- ब्रह्मकमल राज्य के हिमालयी क्षेत्रों में 4800मी0-6000 मी० की ऊँचाई में मिलते है
- ब्रह्मकमल का फूल ऐसटेरसी कुल का पौधा है
- ब्रह्मकमल का वैज्ञानिक नाम सोसूरिया अबबेलेटा है
- ब्रह्मकमल की अन्य प्रजातियों में फेनकमल व कस्तूरा
- ब्रह्मकमल को स्थानीय भाषा में कौंल पद्म कहते है
- हिमाचल प्रदेश में ब्रह्मकमल को दूधाफूल कहते है
- कश्मीर में ब्रह्मकमल को गलगल कहा जाता है।
- महाभारत के वन पर्व में ब्रह्मकमल को सौगन्धिक पुष्प कहा गया तथा नेपाल में ब्रह्मकमल को टोपगोला कहते है
- ब्रह्मकमल की विश्व में 210 प्रजाति व राज्य में 24 प्रजातियां पायी जाती है।
- ब्रह्मकमल राज्य में फूलो की घाटी, केदारनाथ व पिंडारी हिमनद आदि क्षेत्रों में बहुतायत पाये जाते है
- ब्रह्मकमल माँ नंदा का प्रिय पुष्प है और नंदाष्टमी को तोड़े जाने का महत्व है
- ब्रह्मकमल को हिमालयी पुष्पों का सम्राट कहा जाता है।
ब्रह्मकमल की विशेषता
- ब्रह्मकमल बैगनी रंग का होता है यह पुष्प गुच्छ के रूप में खिलता है
- ब्रह्मकमल पौधे की ऊँचाई 70 से 80 सेमी होती है
- ब्रह्मकमल फूल के खिलने का समय जुलाई से सितम्बर होता है।
- ब्रह्मकमल के पौधे पर एक वर्ष में केवल एक ही पुष्प आता है।
- ब्रह्मकमल का पुष्प अर्द्धरात्रि को खिलता है
- ब्रह्मकमल पौधे की जड़ो को पीस कर हड्डी उपचार में प्रयोग किया जाता है।
- बुरांस वृक्ष 1500-4000 मी० की ऊँचाई पर मिलने वाला एक सदाबहार वृक्ष है.
- इसका वानस्पतिक नाम रोडोडेन्ड्रान अरबोरियम है
- बुरांस एरिकेसई कुल का वृक्ष है इसे हिमाचल प्रदेश में बुरांशो कहते है एवं कन्नड़ में बुरांस को बिली कहा जाता है।
- बुरांस नेपाल का राष्ट्रीय पुष्प है, जहाँ बुरांस को गुरांश कहा जाता है
- बुरांस हिमाचल प्रदेश व नागालैंड का राज्य पुष्प है
बुरांस वृक्ष विशेषता
- बुरांस फूलो का रंग चटक लाल होता है एवं सफेद रंग के बुरांस 11000 फीट की ऊँचाई पर पाये जाते है
- बुरांस के फूलो का खिलने का समय फरवरी से अप्रैल तक होता है
- बुरांस के पुष्प में मिथेनॉल होता है जो डायबिटीज के लिए फायदेमंद होता है
- बुरांस वृक्ष को वन अधिनियम 1974 के तहत संरक्षित वृक्ष घोषित किया गया
- मोनाल को हिमालय का मयूर कहा जाता है इसका वैज्ञानिक नाम लोफोफोरस इंपीजेनस है
- नेपाल का राष्ट्रीय पक्षी मोनाल पक्षी है।
- डफिया मोनाल परिवार से सम्बन्धित पक्षी है।
- मोनाल को स्थानीय भाषा में मन्याल या मुनाल कहा जाता है।
- मोनाल पक्षी राज्य के 2500-5000 मी० की ऊँचाई वाले क्षेत्रों में पाये जाते है।
- मोनाल फैजेण्ड परिवार का पक्षी है और मोनाल की 4 अन्य प्रजातिया इपेलेस. स्केलेटरी, ल्यूरी एवं ल्यूफोफोरसऐन्स आदि भी पायी जाती है।
- कश्मीर में मोनाल को सुनाल व हिमाचल प्रदेश में नीलेगुरु तथा सिक्किम में मोनाल पक्षी को चामदौंग कहते है
- मोनाल के लिए भूटान में बुप व नेपाल में डंगन कहा जाता है
- राज्य के अलावा मोनाल असम कश्मीर, हिमाचल व नेपाल में भी पाये जाते है।
मोनाल पक्षी की विशेषता
- मोनाल पक्षी घोसला नहीं बनाती है यह किसी चट्टान या पेड़ के छेद में अंडे देती है
- नर मोनाल के सिर पर मोर की भांति कलगी होती है।
- मोनाल पक्षी में प्रजनन क्रिया वर्ष में दो बार होती है।
- मोनाल का प्रिय भोजन आलू की फसल है
- हिमालयी पक्षियों का सिरमौर कहे जाने वाले मोनाल को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत सरक्षित किया गया है
- सर्वाधिक मात्रा में मोनाल केदारघाटी में पाये जाते है
- राज्य के वन्य जीव संरक्षण बोर्ड द्वारा पहली बार 2008 में मोनाल की गणना
- करायी गयी और 2008 तक राज्य में कुल मोनालों की संख्या 919 थी
- 7 नवम्बर 2016 को कॉमन पीकॉक को राज्य तितली घोषित किया।
- कॉमन पीकॉक हिमालयी क्षेत्रों में 7000 फीट की ऊँचाई में पायी जाती है
- कॉमन पीकॉक का वैज्ञानिक नाम पैपिलियों बायनर है।
- 1996 को लिम्बा बुक ने कॉमन पीकॉक को भारत की सबसे सुन्दर तितली का खिताब दिया।
- कॉमन पीकॉक का जीवनकाल 30 से 35 दिन का होता है
- कॉमन पीकॉक टिमरु के पेड़ पर अंडे देती है और उसी की पत्तियां खाती है।
- 2016 में देहरादून के लच्छीवाला में बटरफ्लाई पार्क खोला गया
- भंडारी कमेटी की सिफारिश पर तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने 2015 में ढोल को राज्य वाद्ययंत्र घोषित किया
- ढोल एक प्राचीन वाद्ययंत्र है जिसको ताबे पीतल व चाँदी धातु पर बकरी की खाल लगाकर बनाया जाता है इसे मंगल वाद्य के नाम से भी जाना जाता है
- ढोल से नौबत या निमती, रहमानी बढ़ें आदि ताले बजायी जाती है
- नौबत प्रातः काल में औजी जाति के लोग 22 पड़ताल बजाते है
- मांगलिक काज शुरू करने से पहले बढै ताल बजायी जाती है।
- आईन-ए-अकबरी में ढोल वाद्य यंत्र का उल्लेख मिलता है।
- राज्य में ढोल सागर के ज्ञाता उतम दास जी है।
उत्तराखंड के प्राचीन राजवंश – one liner | click here |
कत्यूरी वंश – one liner | click here |
गोरखा शासन – one liner | click here |
ब्रिटिश शासन – one liner | click here |
उत्तराखंड के प्रमुख जन आन्दोलन -one liner | click here |
उत्तराखंड के प्रमुख झील / ताल -one liner | click here |
Dear Students हमे उम्मीद है कि आपको हमारी यह पोस्ट UTTARAKHAND ONE LINER HINDI -7 / उत्तराखंड राज्य के प्रतीकल पसंद आयी होगी यह आपके knowledge को Improve करने में काफी मदद करेगी । अगर आपको हमारी यह पोस्ट पसन्द आयी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे और यदि आपको पोस्ट से संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो आप हमें comment में पूछ सकते है ।
thx