विजय जड़धारी – बीज बचाओ आन्दोलन
विजय जड़धारी – बीज बचाओ आन्दोलन (Save the Seeds Movement)

विजय जड़धारी – संक्षिप्त परिचय
जन्म: 8 अक्टूबर 1953 (वि. सं. 2009 मार्गशीर्ष 26 गते)
ग्राम: खाता गांव, पट्टी बमुंड, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड
पिता: श्री कल्या सिंह
माता: श्रीमती पौखु देवी
शिक्षा: स्नातक
संक्षिप्त परिचय
विजय जड़धारी एक प्रख्यात पर्यावरणविद्, लेखक और शोधकर्ता हैं। उन्होंने जैव विविधता, कृषि संरक्षण और पारंपरिक ज्ञान के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे ‘बीज बचाओ आंदोलन’ के प्रणेता हैं, जिसने पारंपरिक बीजों के संरक्षण को प्रोत्साहित किया। उनके कार्यों ने पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास को बढ़ावा दिया है।
विजय जड़धारी - बीज बचाओ आन्दोलन
स्वतन्त्र व सहभागी प्रकाशित पुस्तकें, शोध पत्र आदि
- अन्न स्वराज
- पहाड़ी खेती किसानों का पारंपरिक विज्ञान
- खेती अनमोल धरोहर
- उत्तराखण्ड में पौष्टिक खानपान की संस्कृति
- बारहनाजा का अंग्रेजी संस्करण
- बीज एवं लोक ज्ञान
- पारंपरिक बीज संरक्षण एवं जैविक पद्धतियाँ
- बारहनाजा (हिन्दी संस्करण)
- पर्यावरण संरक्षण, प्राकृतिक जैविक खेती पर विभिन्न विश्वविद्यालयों, संस्थानों एवं किसान समूहों के बीच अब तक सैकड़ों व्याख्यान, पेपर व शोध पत्र प्रस्तुत
- राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय समाचार पत्रों, पत्र पत्रिकाओं में, आकाशवाणी लखनऊ व नजीबाबाद से दर्जनों कहानियाँ एवं वार्ताएं प्रसारित। खेती किसानी व पर्यावरण सम्बन्धी लेख प्रकाशित
- जैविक/प्राकृतिक खेती व जैव विविधता पर अन्तर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों में नेपाल, बंगलादेश, दक्षिण अफ्रीका, मलेशिया, बेलजियम व जर्मनी आदि में विशेष प्रस्तुति
सम्मान एवं मान्यता
- संस्कृति पुरस्कार 1998 दिल्ली, इन्दिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार 2009, गढ़ गौरव सम्मान, राज्य खानपान विशेष सम्मान सहित दर्जनों पुरस्कार व सम्मान
- 2007 में गांधी शान्ति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली द्वारा स्वामी प्रणवानंद पुरस्कार से सम्मानित
- बीज बचाओ आन्दोलन को बहुत से सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों द्वारा मान्यता व सम्मान।
- सदस्य-विषय विशेषज्ञ एबीएस उत्तराखण्ड जैव विविधता बोर्ड, देहरादून
- सदस्य-प्रबन्ध परिषद/शोध बी.सि. गढ़वाली औद्यानिकी वानिकी विश्वविद्यालय
- पूर्व सदस्य रिसर्च एडवाईजरी ग्रुप भारतीय वन अनुसंधान देहरादून
विजय जड़धारी – बीज बचाओ आन्दोलन
बीज बजाओ आन्दोलन ( beej bachao aandolan )
बीज बचाओ आंदोलन, उत्तराखंड में शुरू हुआ एक आंदोलन है. इसका मकसद, पारंपरिक बीजों को बचाना और जैविक खेती को बढ़ावा देना है. इस आंदोलन की शुरुआत 1980 के दशक में हुई थी.
इस आंदोलन के बारे में ज़्यादा जानकारीः
- इस आंदोलन का नेतृत्व किसान और कार्यकर्ता विजय ज़रधारी ने किया था.
- इस आंदोलन के तहत, स्थानीय किसानों के साथ मिलकर चावल, राजमा, गेहूं, जौ, लोबिया, और मसूर की कई किस्में उगाई गईं.
- इस आंदोलन के तहत, बारानाजा जैसी सरल और टिकाऊ तकनीकों को फिर से अपनाया गया.
- इस आंदोलन का मकसद, जैव विविधता को बढ़ाना और स्थानीय किसानों को मज़बूत बनाना है.
- इस आंदोलन के तहत, संकर किस्म के बीजों और नकदी फ़सलों के इस्तेमाल को कम करने की कोशिश की गई.
- इस आंदोलन के तहत, प्राकृतिक उर्वरकों के इस्तेमाल पर ज़ोर दिया गया.
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