शाहजहाँ (Shah Jahan ) notes in hindi / दारा शिकोह / उत्तराधिकार युद्ध
शाहजहाँ (Shah Jahan ) notes in hindi दोस्तों स्वागत है आपका हमारे इतिहास के नोट्स सीरिज मैं आज हम आपको मुग़ल वंश के महत्वपूर्ण शासक शाहजहाँ (Shah Jahan ) के बारे मैं जानकारी देंगे हमारे द्वारा यह जानकारी विभिन्न प्रकार की पुस्तको से प्राप्त की गयी है
● जन्म / स्थल: 5 जनवरी, 1592 ई. को लाहौर में।
● मूल नामः खुर्रम
● पूरा नामः शिहाबुद्दीन मुहम्मद शाहजहां
● माता: जगतगोसाई (जोधबाई, जोधपुर के मोता राजा उदय सिंह की पुत्री)
● पिता: जहांगीर
● उपाधिः दक्षिण विजय (अहमदनगर) के बाद शाहजहां की उपाधि प्रदान की गयी।
● राज्याभिषेकः 4 फरवरी, 1628 ई.
➯ खुर्रम जन्म के अवसर पर दरबारी कवियों ने उसे विश्व का विजेता कहा था।
➯ शाहजहाँ पहले नूरजहाँ गुट का प्रमुख सदस्य व सिंहासन का दावेदार था किन्तु नूरजहाँ द्वारा अपनी पुत्री लाडली बेगम का विवाह शहरयार से करने पर नूरजहां बादशाह पद के लिए शहरयार की दावेदारी करने लगी, अतः शाहजहाँ ने 1623 ई. में बगावत कर दी।
➯ 1627 ई. में जहांगीर की मृत्यु के समय शाहजहाँ दक्षिण था, अतः शाहजहाँ के ससुर आसफ खाँ ने खुसरो के बेटे दावर बख्श को तख्त पर बैठाकर कूटनीतिक चाल चली और बनारसीदास नामक दूत के माध्यम से संदेश भेजकर शाहजहाँ को बुलावा भेजा तथा शाहजहाँ ने अपने भाइयों व प्रतिद्वन्दियों का अन्त करके अन्त में दावर बख्श को भी मार दिया व 4 फरवरी, 1628 ई. को आगरा के राजसिंहासन पर अबुल मुजफ्फर मुहम्मद साहिब किरान सानी की उपाधि लेकर बैठा।
➯ समकालीन इतिहासकारों ने दावर बख्श को ‘बलि का बकरा’ कहा है।
➯ शाहजहाँ के काल में गोपनीय आदेश ‘शाहबुर्ज / मुसम्मन बुर्ज’ से जारी होते थे।
➯ शाहजहाँ प्रायः शादुल्ला खाँ से परामर्श लेते थे। शासक बनने से पहले शाहजहाँ का मुख्य सहायक अब्दुल्ला खाँ था।
मुमताज:-
➯ शाहजहाँ का विवाह नूरजहां के भाई आसफ खाँ की पुत्री अर्जुमन्द बानू बेगम से 1612 ई. में हुआ। वह इतिहास में मुमताज महल के नाम से प्रसिद्ध हुई तथा आगरा का प्रसिद्ध ताजमहल मुमताज की याद में शाहजहाँ ने बनवाया। 1631 ई. में मुमताज की 14वें बच्चे को जन्म देते समय बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) में मृत्यु हो गई।
➯ मुमताज की 14 संतानों में केवल चार पुत्र व तीन पुत्रियां ही जीवित रही ये थे- जहाँआरा (1614 ई.), दारा शिकोह (1615 ई.), रोशन आरा (1617 ई.), औरंगजेब (जन्म 1618 ई.), शुजा, मुराद व गोहन आरा।
➯ मुमताज की दासी सतउन्निसा खानम उसकी विशेष सलाहकार थी। मुमताज को मलिक ए जमानी की उपाधि प्राप्त थी।
➯ शाहजहाँ अन्तिम आठ वर्ष आगरा के किले के शाह बुर्ज (मुसम्मन बुर्ज) में बंदी की तरह रहा। इस समय उसकी बड़ी बेटी जहाँआरा उसके साथ थी। शाहजहाँ पहला मुगल शासक है जो अपने जीवन काल में गद्दी से उतारकर कैदी बनाया गया।
➯ शाहजहाँ की मृत्यु 1666 ई. में हुई तथा उसे ताजमहल में मुमताज की कब्र के पास दफनाया गया।
विद्रोह
- 1628 ई. में पहला विद्रोह जुझार सिंह बुन्देला (वीरसिंह बुंदेला का पुत्र) ने किया।
➯ इस विद्रोह का कारण यह था कि जुझारसिंह पुत्र विक्रमजीत ने अत्यधिक कर लगाकर धन सम्पदा एकत्र कर ली थी। शाहजहाँ ने जुझार सिंह द्वारा एकत्र करों की जाँच की आज्ञा दी। इस पर जुझार सिंह मुगल दरबार छोड़कर ओरछा आ गया व विद्रोह कर दिया ।
➯ महावत खाँ ने इस विद्रोह का अब्दुल्ला खाँ के सहयोग से दमन किया। अंत में जुझार सिंह ने 1629 ई. में आत्मसमर्पण कर शाहजहाँ की अधीनता स्वीकार कर ली।
➯ जुझारसिंह ने पाँच वर्ष तक की सेवा के बाद 1635 ई. में पुनः विद्रोह कर दिया।
➯ जुझार सिंह ने गोंडवाना की राजधानी चौरागढ़ को जीतकर राजा प्रेम नारायण को मार डाला। औरंगजेब ने इस विद्रोह का दमन किया व 1635, ई. में जुझार सिंह एवं विक्रम सिंह की गोंड आदिवासियों द्वारा हत्या के साथ यह विद्रोह समाप्त हुआ।
2. दूसरा विद्रोह 1628 ई. में अफगान सरदार खानेजहाँ लोदी (पीर खान) ने किया। 1631 ई. में खानेजहाँ माधोसिंह द्वारा मारा गया।
3. शाहजहाँ का सिक्ख गुरु हरगोविन्द से बाज के विवाद पर झगड़ा हुआ।
➯ मुगलों व सिक्खों के बीच हरगोविन्द के समय श्री गोविन्दपुर नामक नगर बसाने को लेकर भी झगड़ा हुआ तथा 1628 ई. में अमृतसर, 1631 ई. में लाहौर एवं 1634 ई. में करतारपुर के युद्ध हुए।
4. 1632 ई. में हुगली का घेरा डालकर पुर्तगालियों को दण्डित किया।
5. महोबा के चम्पतराय ने विद्रोह किया, अन्त में इससे सुलह हो गई।
6. मालवा में खाता खेड़ी के भागीरथ भील, छोटा नागपुर के राजा प्रताप एवं नूरपुर के जमींदार जगतसिंह ने भी शाहजहां के समय विद्रोह किया था।
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अहमदनगर का विलय:-
➯ 1633 ई. में अहमदनगर को मुगल साम्राज्य में मिला लिया गया व अन्तिम निजामशाही सुल्तान हुसैन शाह को कैद कर ग्वालियर के किले में भेज दिया।
➯ फतेह खाँ अहमदनगर अभियान में मुगलों का एक सेनानायक था।
➯ अहमदनगर के पतन के बाद शाहजी भोंसले अहमदनगर को छोड़कर बीजापुर की सेवा में चले गये।
➯ इसी समय शाहजहाँ ने मुराद के अनुरोध पर शाहजी को 5000 का मनसब एवं पूना की जागीर दी थी।
➯ 1636 ई. के बाद शाहजहां की दक्षिण नीति काफी हद तक सफल रही क्योंकि उसने काफी समय दक्षिण में व्यतीत किया तथा उसे दक्षिण का अनुभव एवं ज्ञान प्राप्त हो गया था।
गोलकुण्डा अभियान:-
➯ 1636 ई. में गोलकुण्डा के शासक अब्दुला कुतुबशाह ने मुगलों की अधीनता स्वीकार कर सन्धि कर ली। गोलकुण्डा में ईरान के शाह के स्थान पर शाहजहाँ के नाम का खुतबा पढ़ा गया व सिक्कों पर भी शाहजहाँ का नाम सम्मिलित करवाया गया।
➯ गोलकुण्डा जो चार लाख हूनों का कर बीजापुर को देता था, वह माफ कर दिया गया।
➯ इसी समय गोलकुण्डा का वजीर मीर जुमला (मुहम्मद सैय्यद ) गोलकुण्डा छोड़कर मुगलों की सेवा में आ गया। मीर जुमला पहले फारसी व्यापारी था।
➯ मीर जुमला ने शाहजहाँ को कोहिनूर हीरा भेंट किया।
बीजापुर अभियान:-
➯ 1631 ई. में शाहजहाँ ने आसफ खाँ को बीजापुर पर आक्रमण करने का आदेश दिया, परन्तु आसफ खाँ का आक्रमण असफल रहा। इसके बाद शाहजहाँ ने महावत को दक्षिण का सुबेदार नियुक्त किया।
➯ 1636 ई. में ही बीजापुर के शासक मुहम्मद आदिल शाह ने भी 4 मुगलों से सन्धि कर मुगल आधिपत्य स्वीकार कर लिया।
➯ शाहजहाँ के समय दक्कन के मुगल वायसराय की राजधानी बुरहानपुर थी।
मध्य एशिया अभियान एवं नीति :-
➯ बल्ख और बदख्शा हिन्दुकुश पर्वत के उत्तर में स्थित थे तथा बुखारा के उजबेग शासक नजर मुहम्मद के नियंत्रण में थे।
➯ बल्ख, बदख्शां एवं बुखारा ट्रान्स आक्सियाना के भाग थे।
➯ बल्ख व बदख्शां में मुगल समर्थित शासक होने से काबुल व पश्चिमोत्तर सीमा पर उजबेग खतरे को कम किया जा सकता था।
➯ बुखारा के शासक नजर मुहम्मद के बेटे अब्दुल अजीज ने विद्रोह कर दिया तो नजर मुह्मद्द ने शाहजहाँ से मदद माँगी व बल्ख में शरण ली।
➯ शाहजहाँ ने बल्ख और बदख्शां के विरुद्ध पहला सैनिक अभियान शाहजादा मुराद और अली मर्दान के नेतृत्व में 1646 ई. में भेजा। नजर मुहम्मद मुगलों के इरादों से आशंकित होकर ईरान भाग गया।
➯ शाहजहाँ ने पहले मुराद को बल्ख व बदख्शां का गवर्नर बनाया तथा 1647 ई. में मुराद के स्थान पर औरंगजेब को गवर्नर बनाया।
➯ औरंगजेब ने अब्दुल अजीज के नेतृत्व वाली उजबेग सेना को बुरी तरह पराजित किया किन्तु स्थानीय विद्रोह व ईरानी सम्राट शाह अब्बास द्वितीय के बढ़ते हस्तक्षेप के कारण शाहजहाँ ने औरंगजेब को बल्ख व बदख्शां को खाली कर वापस आने का आदेश दिया।
➯ शाहजहाँ के बल्ख अभियान (1646-47 ई.) का उद्देश्य बल्ख व बदख्शां में एक मित्रवत शासन की स्थापना करना था न कि मुगल साम्राज्य की वैज्ञानिक सीमा निर्धारित करना। शाहजहाँ मुगलों के गृह प्रदेश समरकन्द व फरगना को जीतने का इच्छुक नहीं था।
➯ बल्ख अभियान से मुगलों की प्रतिष्ठा तो थोड़े समय के लिए बढ़ी किन्तु इसके कोई राजनैतिक फायदे मुगलों को नहीं मिले तथा चार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हुए।
➯ शाहजहाँ की मध्य एशिया नीति पूर्णतः विफल रही।
शाहजहाँ (Shah Jahan ) notes in hindi / दारा शिकोह / उत्तराधिकार युद्ध
कन्धार अभियानः-
➯ इरान के शाह अब्बास द्वितीय ने मध्य एशिया में मुगलों की असफलता का लाभ उठाकर 1649 ई. में कन्धार को जीत लिया। कन्धार को भारत का सिंहद्वार कहा जाता था।
➯ इससे पहले 1639 ई. में कन्धार के किलेदार अली मर्दान ने स्वेच्छा से कन्धार का किला मुगलों को सौंप दिया, लेकिन 1648 ई. में कन्धार अन्तिम रूप से मुगलों के हाथ से निकल गया। कन्धार सामरिक महत्व का केन्द्र होने के कारण मुगलों को बड़ा धक्का पहुंचा।
➯ शाहजहाँ ने पहले 1649 ई. व 1652 ई. में औरंगजेब को व फिर 1653 ई. में दारा शिकोह को कन्धार जीतने के लिए भेजा किन्तु वे असफल रहे।
➯ दारा शिकोह ने घोषणा की, कि “जो कोई अब तक न कर सका, वह मैं करके दिखाऊँगा, सात दिनों के भीतर कन्धार जीत लूंगा।’
➯1649 ई. से 1653 ई. के बीच कन्धार को जीतने के तीन अभियानों में 12 करोड़ रुपये खर्च हुए तथा मुगलों की, राजनैतिक व सैनिक प्रतिष्ठा को धक्का लगा
शाहजहाँ (Shah Jahan ) notes in hindi / दारा शिकोह / उत्तराधिकार युद्ध
➯ शाहजहाँ ने प्रारम्भ में स्वयं को इस्लाम का रक्षक घोषित किया और प्रशासन में मुसलमानों को प्राथमिकता दी, इसी कारण समकालीन इतिहासकारों ने शाहजहाँ को इस्लाम का मुजहिद व शरीयत का स्तम्भ बताया है।
➯ शाहजहाँ अपने शासन के प्रारम्भ में धार्मिक रूप से कुछ कट्टर था किन्तु बाद में जहाँआरा व दारा के प्रभाव में उदार हो गया।
➯ शाहजहाँ ने सिजदा तथा पायबोस प्रथा समाप्त कर दी व 1636-37 ई. में उसके स्थान पर चहार तस्लीम की प्रथा शुरू की।
➯ पगड़ी में बादशाह की तस्वीर पहनने पर रोक लगा दी।
➯ हिन्दुओं पर कुछ समय के लिए तीर्थयात्रा कर लगाया। गोहत्या पर लगे प्रतिबंध को समाप्त कर दिया।
➯1633 ई. में नवनिर्मित हिन्दू मंदिरों को गिराने के आदेश दिये एवं नये मन्दिरों के निर्माण पर रोक लगा दी। इस कारण बनारस, इलाहाबाद, गुजरात व कश्मीर में अनेक हिन्दू मंदिर तोड़े गये।
➯ कश्मीर में हिन्दू और मुसलमानों के बीच वैवाहिक सम्बन्धों पर रोक लगा दी।
➯ पंजाब एवं कश्मीर के हिन्दू-मुसलमानों को विवाह कर से मुक्त कर दिया।
➯ 1634 ई. में यह कानून बनाया कि मुस्लिम लड़की हिन्दू से तभी शादी कर सकती है जब लड़का इस्लाम स्वीकार कर ले तथा इसी वर्ष यह आदेश जारी करवाया कि स्वेच्छा से धर्मान्तरण कर इस्लाम स्वीकार “करने वाले को पिता की संपति में भी हिस्सा मिलेगा।
➯ शाहजहाँ ने हिन्दुओं को मुसलमान बनाने के लिए पृथक विभाग की स्थापना की तथा हिन्दुओं को मुसलमान गुलाम रखने से मना कर दिया। युद्ध बन्दियों को मुसलमान बनाने की प्रथा फिर से प्रारम्भ की।
➯ शाहजहाँ ने इलाही संवत् के स्थान पर फिर से हिजरी संवत् चलाई।
➯ 1632 ई. में पुर्तगालियों का दमन मुगल सूबेदार कासिम अली खाँ ने किया जो हुगली में लोगों को बलपूर्वक ईसाई बना रहे थे।
➯ पुर्तगालियों से युद्ध के दौरान शाहजहाँ ने आगरा में गिरिजाघर तुड़वा दिये।
➯ शाहजहाँ ने झारोखा दर्शन, तुलादान और हिन्दू राजाओं के माथे पर तिलक लगाने की प्रथा जारी रखी।
➯ अहमदाबाद के प्रमुख जौहरी एवं साहूकार शान्तिदास को जैन मुनियों के विश्राम स्थल (पोशाला) के निर्माण हेतु भूमि अनुदान दिया।
➯ शाहजहाँ ने अहमदाबाद में चिन्तामणि मंदिर की मरम्मत कराई तथा खम्भात के नागरिकों के अनुरोध पर वहां गौहत्या बन्द करवा दी।
➯ शाहजहाँ तीर्थयात्रा’ कर पुनः शुरू करना चाहता था किन्तु काशी के विद्वान कवीन्द्राचार्य सरस्वती के कहने पर अपनी आज्ञा वापस ले ली तथा बनारस व इलाहाबाद पर लगने वाले तीर्थयात्रा कर को माफ कर दिया।
शाहजहाँ (Shah Jahan ) notes in hindi / दारा शिकोह / उत्तराधिकार युद्ध
विविध तथ्य
➯ शाहजहाँ के काल में 1630-32 ई. के बीच गुजरात व दक्षिण में भयंकर अकाल पड़ा। इटली व्यापारी पीटर मुंडी ने इसका वर्णन किया है।
➯ शाहजहाँ ने दक्षिण के अकाल (1630-32 ई.) के समय दक्षिण के भू-राजस्व का 1/11 भाग माफ कर दिया था।
➯ शाहजहाँ ने तख्ते ताउस (मयूर सिंहासन) नामक रत्नजड़ित सिंहासन बनवाया। इसके शिल्पकार बेबादल खान थे । यह सिंहासन 1739 ई. में नादिर शाह ईरान ले गया।
➯ शाहजहाँ के काल को मुगल इतिहास का स्वर्णयुग कहा जाता है।
➯ शाहजहाँ ने 98 मील लम्बी रावीनहर लाहौर तक बनवाई। दूसरी नहर ‘नहर-ए-साहिब’ (फिरोज तुगलक द्वारा निर्मित) की मरम्मत करवाकर उसे 60 मील लम्बा करवा कर उसका नाम नहर-ए-बहिस्त रखा।
➯ शाहजहाँ के शासन काल का वर्णन फ्रेंच यात्री बर्नियर, ट्रेंवेनियर व इटालियन यात्री मनूची ने किया है।
➯ शाहजहाँ अच्छा गायक था। वह फलित ज्योतिष में विश्वास रखता था।
➯ मोरलैण्ड के अनुसार शाहजहाँ का युग किसानों के लिए शान्ति का युग था ।
➯ शाहजहाँ का प्रथम शिक्षक मुल्ला कासिम बेग तबरीजी था, लेकिन शाहजहां हकीम अली गिलानी से सर्वाधिक प्रभावित था जिससे उसने चिकित्साशास्त्र की शिक्षा प्राप्त की थी।
➯ रुकैया बेगम से शाहजहाँ ने तुर्की भाषा सीखी थी।
➯ तेलंगाना के बालाघाट में स्थित कन्धार के दुर्ग को शाहजहाँ ने विजित किया।
➯ शाहजहाँ ने जोधपुर के अमरसिंह के दावों को अनदेखा करके जसवन्त सिंह को टीका दिया था।
➯ दिल्ली में दारूलशफा अस्पताल बनवाया।
➯ सितम्बर, 1657 में शाहजहाँ के बीमार पड़ने पर उसके चारों पुत्रों में “राजगद्दी को लेकर युद्ध प्रारम्भ हुआ।
➯ शाहजहाँ ने दारा को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था।
➯उत्तराधिकार युद्ध में जहाँआरा ने दाराशिकोह, रोशनआरा ने औरंगजेब और गौहन आरा ने मुरादबख्श का पक्ष लिया।
➯ शाहशुजा ने बंगाल में तथा मुराद ने गुजरात में अपने को बादशाह घोषित किया। औरंगजेब ने कूटनीतिक चुप्पी रखी। औरंगजेब दक्षिण का सूबेदार था।
➯ उत्तराधिकार युद्ध प्रारम्भ होने से पूर्व औरंगजेब ने सत्तारी सिलसिले के शेख बुरहानुद्दीन एवं शेख अब्दुल लतीफ से आशीर्वाद लिया था।
➯ उत्तराधिकार युद्ध प्रारम्भ होते समय शाहशुजा बंगाल, मुराद गुजरात एवं औरंगजेब दक्षिण का सूबेदार था और दारा पंजाब का सूबेदार था।
➯ मनूची उत्तराधिकार युद्ध का प्रत्यक्षदर्शी था।
शाहजहाँ (Shah Jahan ) notes in hindi / दारा शिकोह / उत्तराधिकार युद्ध
बहादुरगढ़ का युद्ध (14 फरवरी, 1658 ई.) –
➯ शाहशुजा व शाही सेना के बीच बनारस के पास बहादुरगढ़ (बहादुरपुर) नामक स्थान पर 14 फरवरी, 1658 ई. को युद्ध हुआ जिसमें शुजा हार गया। शाही सेना का नेतृत्व सुलेमान शिकोह (दारा शिकोह का पुत्र) व मिर्जा राजा जयसिंह ने किया।
धरमत का युद्ध (15 अप्रैल, 1658 ई.) :-
➯ औरंगजेब और मुराद की सेना ने उज्जैन के पास धरमत नामक स्थान पर जसवन्तसिंह व कासिम खाँ के नेतृत्व वाली शाही सेना को पराजित किया।
➯ धरमत विजय की स्मृति में औरंगजेब ने फतेहाबाद नगर की स्थापना की।
➯ जसवंत सिंह जब धरमत से पराजित होकर जोधपुर आया तो रानी ने उसे किले में नहीं घुसने दिया।
सामूगढ़ का युद्ध (29 मई, 1658 ई.)
➯ आगरा के पास लड़ेइस निर्णायक युद्ध में औरंगजेब व मुराद की सम्मिलित सेना ने दारा को पराजित कर आगरा पर कब्जा किया। शाहजहाँ को बन्दी बनाकर आगरा के किले में मुसम्मन बुर्ज में कैद कर लिया। सामूगढ़ का युद्ध निर्णायक माना जाता है।
➯ सामूगढ़ की जीत के बाद औरंगजेब ने मुराद को बन्दी बनाकर ग्वालियर के दुर्ग में भेज दिया व हत्या करवा दी।
देवराई का युद्ध (अप्रैल, 1659 ई.)
➯ अजमेर के निकट दौराई (देवराई) घाटी में औरंगजेब ने दारा को अन्तिम रूप से पराजित कर दिया।
➯ मलिक जीवन नामक बलूची सरदार के विश्वासघात के कारण बोलन दरें (बलुचिस्तान) में दारा पकड़ा गया। मलिक जीवन ने दारा व उसके पुत्र सिपहर शिकोह को औरंगजेब को सौंप दिया।
➯ दारा को न्यायाधीशों ने विधर्मी घोषित कर मृत्युदण्ड दे दिया।
➯ दारा की पत्नी नादिरा बेगम का भी बीमारी के कारण दादर में स्वर्गवास हो गया।
➯ बर्नियर ने दारा को मृत्युदण्ड देते अपनी आंखों से देखा । फ्रांसीसी डाक्टर बर्नियर 1658 ई. में शाहजहाँ के अन्तिम समय में भारत आया।
➯ दारा को हुमायूँ के मकबरे में दफनाया गया।
➯ दारा के सबसे बड़े लड़के सुलेमान शिकोह को 1662 ई. में धीमा जहर देकर ग्वालियर के किले में मार दिया गया। सुलेमान शिकोह ने श्रीनगर (गढ़वाल) में आश्रय लिया था।
➯ औरंगजेब ने अपनी तीसरी लड़की की शादी द्वारा के लड़के ‘सिपिहर शिकोह’ के साथ की तथा पांचवी बेटी की शादी मुराद के लड़के इजीद बक्स के साथ की
शाहजहाँ (Shah Jahan ) notes in hindi / दारा शिकोह / उत्तराधिकार युद्ध
दारा शिकोह
• दारा शिकोह का जन्म 1615 ई. में अजमेर में हुआ। दारा अकबर की भांति उदार विचार के थे। दारा कादिरी संप्रदाय के सूफी संत मुल्ला शाह के शिष्य थे।
• शाहजहाँ ने दारा को कन्धार अभियान के समय 1653 ई. में ‘शाह बुलन्द इकबाल’ की उपाधि दी।
• लेनपूल ने दारा को ‘लघु अकबर’ कहा है।
• दारा ने काशी के पण्डितों के सहयोग से 52 उपनिषदों का सिर्र-ए- अकबर (The Great Secret) नाम से फारसी अनुवाद कराया।
• दारा ने मज्म-उल-बहरीन (दो समुद्रों का संगम) नामक पुस्तक की रचना की।
• दारा ने भावगत गीता व योग वशिष्ट का फारसी अनुवाद कराया।
• दारा का सबसे महत्वपूर्ण कार्य वेदों का संकलन है। उसने हिन्दू साहित के वेदों को ईश्वरीय कृति माना है।
दारा ने सूफ़ीमत के बारे में पांच ग्रंथ लिखे :-
1 . सफीनत-उल-औलिया- (विभिन्न परम्पराओं के सूफियों का जीवन वृत्त)
2 .सकीनत-उल-औलिया- (कादिरी सूफियों का जीवन वृत्त)
3 .हसनात-उल-आरफीन- (विभिन्न सन्तों की वाणी का संकलन) चरण)
4 .तरीकत-उल-हकीकत- (आध्यात्मिक मार्ग के विभिन्न
5 .रिसालाए-हक-नुमा – ( सूफी प्रथाओं का वर्णन)
• मनूची नामक इटालियन ने दारा शिकोह के यहां तोपची की नोकरी की। दारा की मृत्यु के बाद उसने चिकित्सक का व्यवसाय अपना लिया।
• दारा शिकोह ने चित्रकारी का एक एलबम तैयार करवाकर अपनी बेगम को भेंट किया। यह एलबम आज भी इण्डिया हाउस, लाइब्रेरी लन्दन में सुरक्षित है।
जहाँआरा
• शाहजहाँ की जीवित सन्तानों में सबसे ज्येष्ठ जहांआरा थी, वह मख्की नाम से कविताएं लिखती थी।
• जहांआरा ने चांदनी चौक की डिजाइन बनाई। उसे सूरत के राजस्व हिस्सा प्राप्त होता था। से
• शाहजहाँ ने जहाँआरा को साम्राज्य की प्रथम महिला (साहिबा तुज जमानी) का खिताब दिया, जिसे औरंगजेब ने भी बरकरार रखा।
• बर्नियर ने जहाँआरा एवं शाहजहाँ के बीच अपवित्र सम्बन्धों का उल्लेख किया है।
[Q] निम्न में से किसने साम्राज्य की राजधानी आगरा से दिल्ली स्थानांतरित की ?
[a] अकबर
[b] जहांगीर
[c] शाहजहां
[d] हुमायू
शाहजहां
[Q] निम्न में से कौन शाहजहां के दरबार का राजकवि था ?
[a] कलीम
[b] काशी
[c] कुदसी
[d] मुनीर
कलीम
[Q] बनारस एवं इलाहाबाद के तीर्थयात्रा कर की समाप्ति के लिए किसने मुगल बादशाह के सामने बनारस के पंडितो का नेतृत्व किया था ?
[a] हरनाथ
[b] जगनाथ
[c] कविंद्रचार्य
[d] कवि हरिराम
कविंद्रचार्य
[Q] हिंदू धर्मग्रंथों का अध्ययन करने वाला प्रथम मुस्लिम था
[a] अमीर खुसरो
[b] दारा शिकोह
[c] अमीर हसन
[d] शुजा
दारा शिकोह
[Q] मुमताज महल का असली नाम था ?
[a] अर्जुमंद बानो बेगम
[b] लाडली बेगम
[c] मेहरुन्निसा
[d] रोशन आरा
अर्जुमंद बानो बेगम
[Q] हिंदू तथा ईरानी वास्तुकला का सर्वप्रथम समन्वय हमें देखने को मिलता है
[a] ताजमहल में
[b] लाल किले में
[c] पंचमहल में
[d] शेरशाह के मकबरे में
ताजमहल में
[Q] निम्न में से किस मुगल बादशाह ने दिल्ली की जामा मस्जिद का निर्माण करवाया ?
[a] अकबर
[b] जहांगीर
[c] शाहजहां
[d] औरंगजेब
शाहजहां
[Q] किस मुगल बादशाह ने बलबन द्वारा प्रारंभ किया गया दरबारी रिवाज ‘सिजदा’ में
समाप्त कर दिया था-
[a] अकबर
[b] जहांगीर
[c] शाहजहां
[d] औरंगजेब
शाहजहां
[Q] सुप्रसिद्ध ‘कोहिनूर’ हीरा शाहजहां को किसने उपहार में दिया था?.
[a] औरंगजेब
[b] मुराद
[c] मीर जुमला
[d] अबुल हसन कुत्बशाह
मीर जुमला
[Q] उपनिषदों का फारसी में अनुवाद किस मुगल सम्राट के शासनकाल में हुआ?
[a] शाहजहां
[b] अकबर
[c] जहांगीर
[d] औरंगजेब
शाहजहां
[Q] निम्नलिखित में किस इतिहासकार ने शाहजहां के शासनकाल को मुगलकाल का
‘स्वर्ण युग’ कहा है?
[a] वी.ए. स्मिथ
[b] जे.एन. सरकार
[c] ए.एल. श्रीवास्तव
[d] उपर्युक्त में कोई नहीं
ए.एल. श्रीवास्तव
[Q] इनमें से किसे शाहजहां ने ‘शाह बुलंद इकबाल’ की पदवी दी थी?
[a] दारा शिकोह
[b] शुजा
[c] औरंगजेब
[d] मुराद
दारा शिकोह
[Q] दारा शिकोह ने किस शीर्षक के अन्तर्गत उपनिषदों का फारसी में अनुवाद किया ?
[a] अल-फिहरिश्त
[b] किताब-अल-बर्षा
[c] मज्य-उल-बहरीन
[d] सिर-ए-अकबर
सिर-ए-अकबर
[Q] शाहजहाँ के काल में कौन यूरोपीय यात्री भारत आया?
[a] हॉकिन्स
[b] टॉमस रो
[c] मान्सरेट
[d] पीटर मुण्डी
पीटर मुण्डी
[Q] निम्नलिखित में से कौन शाहजहां के शासनकाल में अधिकांश समय तक दक्कन का गवर्नर रहा था?
[a] दारा शिकोह
[b] मुराद बख्श
[c] शाह शुजा
[d] औरंगजेब
औरंगजेब
[Q] शाहजहां के बल्ख अभियान का उद्देश्य था-
[a] काबुल की सीमा से सटे बल्ख और बदख्शां में एक मित्र शासक को लाना
[b] मुगलों की मातृभूमि समरकंद और फरगना को जीतना
[c] मुगल सीमा की ‘वैज्ञानिक पद्धति’ आमू दरिया पर निर्धारित करना
[d] मुगल साम्राज्य का विस्तार उप-महाद्वीप से आगे तक करना
काबुल की सीमा से सटे बल्ख और बदख्शां में एक मित्र शासक को लाना
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