कालसी ऐतिहासिक स्थल, अशोक का शिलालेख, यवन राजाओं का उल्लेख
कालसी: ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व का स्थल
कालसी का भौगोलिक एवं ऐतिहासिक महत्व कालसी, उत्तराखंड में यमुना एवं टोंस नदियों के संगम पर स्थित एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है। इसे कालशिला, चित्रशिला और कालसी गेट आदि नामों से जाना जाता है। इसे ‘जौनसार बावर क्षेत्र का प्रवेश द्वार’ भी कहा जाता है।
मौर्यकाल और अशोक का शिलालेख कालसी का सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक साक्ष्य मौर्य सम्राट अशोक महान का शिलालेख है। यह प्रमाणित करता है कि यह क्षेत्र मौर्यों के अधीन था। मौर्यकाल में कालसी एक वाणिज्य-द्वार था, जिसके कारण सम्राट अशोक ने यहाँ अपना शिला-प्रज्ञापन खुदवाया था। यह शिलालेख प्राकृत भाषा में है और इसकी लिपि ब्राह्मी है।
शिलालेख की खोज और विशेषताएँ
- सन् 1860 में जॉन फॉरेस्ट द्वारा इस शिलालेख की खोज की गई थी।
- यह स्फटिक (Quartzite Rock) शिला लगभग 10 फुट ऊँची और 10 फुट लंबी है।
- स्थानीय लोग इसे ‘चित्रशिला’ कहते हैं।
- यह अशोक का तेरहवाँ अभिलेख है, जिसे 257 ईसा पूर्व में स्थापित किया गया था।
- इसमें अशोक के चौदह प्रज्ञापनों का उल्लेख मिलता है।
- तेरहवें अभिलेख में एक हाथी की आकृति उकेरी गई है, जिसके पैरों के मध्य ‘गजतमे’ शब्द लिखा गया है।
- इस अभिलेख में इस क्षेत्र को ‘अपरांत’ और यहाँ के निवासियों को ‘पुलिन्द’ कहा गया है।
यूनानी (यवन) शासकों का उल्लेख इस अभिलेख में पाँच प्रमुख यवन शासकों का उल्लेख मिलता है:
- अंतियक द्वितीय थियोस (सीरिया)
- टॉल्मी द्वितीय फिलाडेल्फस (मिश्र)
- एण्टिगोनस गोनाटस (मेसिडोनिया)
- मगास (सीरीन)
- एलेक्ज़ेण्डर (इपिरस)
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कालसी और कालकूट राज्य ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, कालसी का संबंध कालकूट राज्य से भी जोड़ा जाता है। विद्वानों के अनुसार, कालकूट के कुलिन्दों की राजधानी ‘कालकूट’ थी, जिसकी समानता कालसी से की जाती है।
सिरमौर राज्य और मध्यकालीन इतिहास
- सिरमौर के इतिहास के अनुसार, कालसी कई बार सिरमौर राज्य की राजधानी रही।
- एक सर्वेक्षण में 8वीं शताब्दी के एक खंडित शिलालेख की खोज हुई, जो संभवतः किसी मंदिर का हिस्सा रहा होगा।
- मुस्लिम इतिहासकारों के अनुसार, सुल्तान नासिरूद्दीन के शासनकाल में कालसी के स्तूपों और मंदिरों का विनाश किया गया।
- अंग्रेज़ इतिहासकार वॉल्टन के अनुसार, कालसी के अन्य पुरावशेष समय के साथ विनष्ट हो चुके हैं।
कालसी की वर्तमान स्थिति वॉल्टन ने कालसी की वर्तमान स्थिति को वर्णित करते हुए कहा था:
“कालसी आज प्रत्येक बात में क्षरणशील नगर है। यह चकराता और मैदानी क्षेत्र के मध्य स्थित एक शांत स्थान के रूप में रह गया है।”
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FAQ: कालसी ऐतिहासिक स्थल और यवन राजाओं का उल्लेख
1. कालसी ऐतिहासिक स्थल कहाँ स्थित है?
कालसी उत्तराखंड के देहरादून जिले में यमुना और टोंस नदियों के संगम के पास स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है।
2. कालसी ऐतिहासिक स्थल का महत्व क्या है?
कालसी मौर्य सम्राट अशोक के शिलालेख के लिए प्रसिद्ध है, जो उत्तर भारत में पाए गए दुर्लभ शिलालेखों में से एक है।
3. अशोक के शिलालेख में किन यवन राजाओं का उल्लेख किया गया है?
कालसी के अशोक शिलालेख में पाँच यवन (यूनानी) शासकों का उल्लेख मिलता है:
- अंतियक द्वितीय थियोस (सीरिया)
- टॉल्मी द्वितीय फिलाडेल्फस (मिश्र)
- एण्टिगोनस गोनाटस (मेसिडोनिया)
- मगास (सीरीन)
- एलेक्ज़ेण्डर (इपिरस)
4. कालसी के अशोक शिलालेख की खोज कब हुई थी?
इस शिलालेख की खोज सन् 1860 में ब्रिटिश अधिकारी जॉन फॉरेस्ट ने की थी।
5. कालसी के शिलालेख की भाषा और लिपि क्या है?
अशोक के इस शिलालेख की भाषा प्राकृत और लिपि ब्राह्मी है।
6. अशोक ने कालसी में शिलालेख क्यों स्थापित किया?
कालसी प्राचीन समय में एक प्रमुख व्यापारिक मार्ग था, इसलिए सम्राट अशोक ने अपने धर्म संबंधी संदेश को प्रचारित करने के लिए यहाँ शिलालेख स्थापित कराया।
7. कालसी ऐतिहासिक स्थल को और किन नामों से जाना जाता है?
कालसी को कालशिला, चित्रशिला, और कालसी गेट जैसे नामों से भी जाना जाता है।
8. कालसी के शिलालेख में अंकित हाथी का चित्र क्या दर्शाता है?
अशोक के शिलालेख में अंकित हाथी गौतम बुद्ध के जन्म का प्रतीक माना जाता है, जिससे यह स्थल बौद्ध धर्म से भी जुड़ता है।
9. क्या कालसी सिरमौर राज्य की राजधानी रहा है?
हाँ, ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, कालसी कई बार सिरमौर राज्य की राजधानी के रूप में स्थापित किया गया था।
10. वर्तमान समय में कालसी का क्या महत्व है?
आज कालसी एक प्रमुख ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थल है, जो पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।