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Gk of Uttarakhand-1 उत्तराखण्ड सामान्य ज्ञान

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Gk of Uttarakhand-1 उत्तराखण्ड सामान्य ज्ञान

  • कोलों का प्रमुख व्यवसाय कृषि था।
  • कोलों के जीवन में प्रमुख प्रथा ‘कुमार-कुमारी गृह प्रथा’ थी।
  • किरातों में ‘संयुक्त परिवार व्यवस्था’ प्रचलित थी।
  • डी. सी. सरकार के अनुसार, खस कश्मीर के निवासी थे।
  • खसों को 1885 में ब्रिटिश सरकार ने शूद्र वर्ग में शामिल किया।
  • राजशेखर ने अपनी पुस्तक ‘काव्य-मीमांसा’ में खसों का उल्लेख किया है।
  • घर जवाई, जेठो, टेकुवा, झटेला व देवदासी प्रथा खसों में प्रचलित थी।
  • किरात मंगोल प्रजाति से संबंधित थे।
  • कुणिंदों की राजधानी कालकूट का उल्लेख पाणिनि ने अपनी पुस्तक अष्टाध्यायी’ में किया है।
  • कुणिंद मुद्राओं  की तुलना यूनानी शासकों द्वारा प्रचलित ‘हेमीदृष्टय’ मुद्राओं से एलन ने की है।
  • पंवार जलविद्युत परियोजना देहरादून में टोंस नदी पर स्थित है।
  • कुमाऊँ आयरन वर्क्स कंपनी लिमिटेड की स्थापना 1862 में हुई।
  • वास्तुशिरोमणि पुस्तक उत्तराखंड की स्थापत्य कला में प्रमुख प्रकाश डालती है। इसकी रचना श्यामशाह के दरबारी कवि शंकर ने 1619 में संस्कृत भाषा में की थी।
  • उत्तराखंड में निर्मित मंदिरों को 2 वर्ग क्षत्रयुक्त मंदिर व शिखर युक्त मंदिर में बाँटा जाता है।
  • उत्तराखंड शैली की चित्रकला की उत्पत्ति 1658 में पृथ्वीपति शाह के समय हुई।

Gk of Uttarakhand-1 उत्तराखण्ड सामान्य ज्ञान

  • उत्तरकाशी के पुरौला में चित्रित धूसर मृदभांड वेदी मिली है।
  • उत्तराखंड में भूमि बंदोबस्त के दौरान भूमि का क्षेत्रफल निकालने के लिए ‘डोरी पैमाइश’ का सफल परीक्षण विकेट/बैकेट द्वारा किया गया।
  • कुलहाल परियोजना देहरादून में यमुना नदी पर स्थित है।
  • ‘सेराघाट डैम’ सरयू नदी पर पिथौरागढ़ में स्थित है।
  • देवसारी परियोजना 300 मेगावाट की विरही गंगा पर चमोली में स्थित है।
  • मलेरी-झेलम परियोजना 55 मेगावाट की चमोली में पश्चिमी धौलीगंगा पर स्थित है।
  • मोरी हनोल, हनोल त्युनी, तालुकाशंकरी परियोजना टोंस नदी पर उत्तरकाशी में हैं।
  • स्वयं सिद्धा’ नामक संस्था 2001 से प्रदेश में महिला सशक्तिकरण पर कार्य कर रही है।
  • ‘गढ़वालै धै’ समाचार पत्र का प्रकाशन 1993  में  देहरादून से पूरन पंत द्वारा किया गया था।
  • ‘डिवाइन लाइफ समाचार पत्र’ का प्रकाशन 1958 में ऋषिकेश से हुआ।
  • ‘उत्थान पत्रिका’ का प्रकाशन 1946 में अल्मोड़ा से हीराबल्लभ जोशी द्वारा किया गया।

Gk of Uttarakhand-1 उत्तराखण्ड सामान्य ज्ञान

  • ‘मैदानी आवाज’ समाचार पत्र का प्रकाशन 2003 में मसूरी से मोहनसिंह सेंगर द्वारा किया गया। ‘उत्तराखंड ज्योति समाचार पत्र’ का प्रकाशन 1961 में पिथौरागढ़ से हीराबल्लभ जोशी और एन. एस. रावत द्वारा किया गया था।
  • कपकोट बाँध, बागेश्वर में 1976 में भू-स्खलन से 11 व्यक्तियों की मृत्यु हो गई थी।
  • गढ़वाल मंडल विकास निगम व कुमाऊँ मंडल विकास निगम की स्थापना 31 मार्च, 1976 को हुई।
  • थर्प-कत्यूरी शासनकाल में शासकों के प्रशासनिक भवन को थर्प कहा जाता है।
  • देहरादून रेलवे पर सन् 2000 में डाक टिकट जारी किया गया था।
  • भारतीय सैन्य अकादमी पर 1982 में डाक टिकट जारी किया गया था।
  • गुरुकुल कांगड़ी पर डाक टिकट 2002 में जारी किया गया।
  • 1843 में कैप्टन हडलस्टन ने पौड़ी में चाय बागानों की स्थापना की।
  • अल्मोड़ा के लक्ष्मेश्वर में सबसे पहले डॉ. फॉल्कनर ने बगीचा लगाया था।
  • गढ़वाली सेना में पादरी एजोविदो ने छोटी तोपों का उल्लेख किया है।
  • 1876 में प्रतापशाह ने राजधानी टिहरी में पहला खैराती  सफाखाना स्थापित किया।
  • 1938 में नरेंद्र शाह ने टिहरी में पहले हाईकोर्ट की स्थापना की

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  • लखनऊ संग्रहालय में स्थित कल्याणचंद के ताम्रपत्र में संख्या E-73 में नाली शब्द का प्रयोग मिलता है।
  • जॉन विकेट ने 1872 में कत्यूरी नाली को ही पैमाना मानकर भूमि बंदोबस्त किया था।
  • भूमि की माप के लिए चंदकाल में नाली ज्युला, विशा, अधाली, पालो व मसा का प्रयोग होता था। उत्तराखंड में शासन करने वाली प्रथम राजनीतिक शक्ति का नाम कुणिंद राजवंश था।
  • उत्तराखंड में शासन करने वाली प्रथम ऐतिहासिक शक्ति कार्तिकेयपुर राजवंश था।
  • 6 अक्टूबर, 2020 को गैरसैंण (चमोली) में ‘भाषा संस्थान’ की स्थापना की गई।

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  • 8 अक्टूबर, 2020 को ‘मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना’ का शुभारंभ किया गया।
  • राज्य के विश्वविद्यालयों में एकरूपता लाने के लिए 23 सितंबर, 2020 को ‘अंब्रेला एक्ट’ राज्य विधानसभा में पारित किया गया।
  • राज्य में पहले ‘हिमालयन कॉनक्लेव’ का आयोजन 28 जुलाई, 2019 को किया गया।
  • 27 जुलाई, 2019 को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्रसिंह रावत ने देहरादून में राज्य के प्रथम मानव विकास रिपोर्ट का विमोचन किया।
  • राज्य के पहले ‘वाहन फिटनेस सेंटर’ की स्थापना 20 सितंबर,2020 को कल्याणपुर, रुद्रपुर में की गई है।

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  • सर्वप्रथम 1883 में अल्मोड़ा में बुद्धिबल्लभ पंत की अध्यक्षता इलबर्ट बिल के समर्थन में एक सभा हुई थी।
  • 1903 में अल्मोड़ा में गोविंदबल्लभ पंत तथा हरगोविंद पंत के प्रयत्नों से हैप्पी क्लब’ की स्थापना हुई। इसका प्रमुख उद्देश्य नवयुवकों में राजनीतिक चेतना का संचार करना था।
  • ‘गढ़वाल यूनियन’ की ओर से 1905 में देहरादून से ‘गढ़वाली’ पत्र का प्रकाशन शुरू हुआ। यह पत्र प्रारंभ में पाक्षिक था और 1913 से साप्ताहिक बना दिया गया।

  • 1913 में स्वामी सत्यदेव परिव्राजक अमेरिका भ्रमण के पश्चात् अल्मोड़ा पहुँचे।
  • 1918 में विचारानंद सरस्वती ने देहरादून में ‘होमरूल लीग’ की एक शाखा स्थापित की।
  • कुमाऊँ परिषद् का पहला अधिवेशन अल्मोड़ा में सितंबर 1917 में हुआ था। इस अधिवेशन के सभापति डिप्टी कलेक्टर जयदत्त जोशी थे।
  • कुमाऊँ परिषद् का द्वितीय अधिवेशन 24-25 दिसंबर, 1918 को हल्द्वानी में हुआ। इस अधिवेशन के सभापति तारादत्त गैरोला थे।

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  • 15 अक्टूबर, 1918 को बद्रीदत्त पांडे ने गुरुदास साह, मोहनसिंह मेहता, हरिकृष्ण पंत तथा हरगोविंद पंत आदि की सहायता से देशभक्त प्रेस की स्थापना कर ‘शक्ति’ साप्ताहिक का प्रकाशन प्रारंभ किया।
  • 1919 के पश्चात् कुमाऊँ परिषद् का नेतृत्व गरमदलीय विचारधारा के हाथों में चला गया।
  • कुमाऊँ परिषद् का तीसरा अधिवेशन 22-24 अक्टूबर, 1919 को कोटद्वार में संपन्न हुआ। इस अधिवेशन की अध्यक्षता रायबहादुर बद्रीदत्त जोशी ने की और स्वागताध्यक्ष तारादत्त गैरोला थे।
  • नायक सुधार समिति की पहली बैठक नवंबर 1919 में नैनीताल में हुई थी।
  • बैरिस्टर मुकुंदीलाल और अनुसूयाप्रसाद बहुगुणा ने 1919 के अमृतसर काँग्रेस अधिवेशन में प्रतिभाग किया था।
  • गोरखों ने कुमाऊँ में 25 वर्ष और गढ़वाल में 10 वर्ष 6 माह तक शासन किया था।
  • 1904 में नैनीताल गजेटियर में उत्तराखंड को ‘हिल स्टेट’ का नाम दिया गया है।
  • 1891 में उत्तराखंड से नॉन रेगुलेशन प्रांत सिस्टम को समाप्त कर दिया गया।
  • 1854 में कुमाऊँ मंडल का मुख्यालय नैनीताल बनाया गया।
  • सिटी फॉरेस्ट (आनंद वन) की स्थापना झाझरा वन रेंज, देहरादून में की गई है।
  • देश के पहले ‘थैलेस गार्डेन’ की स्थापना पिथौरागढ़ के मुनस्यारी में की जाएगी।

Gk of Uttarakhand-1 उत्तराखण्ड सामान्य ज्ञान

  • किस मठ को शमशानवासिनी काली का रूप माना जाता है— अंगाली मठ (टिहरी)।
  • अंधरी (अप्सरा) ताल स्थित है— टिहरी । (गढ़वाली में अप्सरा को ‘अंधरी’ कहा जाता है।)
  • अकितरि क्या है— जौनसारी जनजाति के मेषपालकों द्वारा बहुमूल्य भेड़ों के रक्षक देवता के रूप में पूजित जाख/ श्रीगुल देवता की देवयात्रा।
  • अलाउद्दीन खिलजी के समय में संपूर्ण कृषि योग्य भूमि का वर्गीकरण किया जाता है—’खालिसा’ एवं ‘अक्ता’ के रूप में।
  • खिलपति किस मंदिर का अन्य नाम है-अखिलतारिणी (चंपावत)।
  • उत्तराखंड की मध्यकालीन प्रशासनिक व्यवस्था में कृषियोग्य भूमि जो कि राज्य की ओर से व्यक्ति विशेष को राजस्वमुक्त रूप में प्रदान की गई होती थी, उसे ‘अकर’ कहा जाता था। ‘अट्टा-सट्टा’ उत्तराखंड की वैवाहिक परंपराओं का अन्यतम रूप है।
  • ‘अणवाल’ पिथौरागढ़ के व्यास तथा चौदांस घाटियों के भोटांतिक ग्रामों के निवासियों को कहा जाता है।
  • तरकेब किसना अन्य नाम है –तम्बू । चंपावत पर स्थित घटकू मंदिर स्थित है—फुगर पहाड़ी पर।
  • कुमाऊँ मंडल की चैत्रमासीय सांस्कृतिक परंपरा ‘भिटौली’ के समान ही गढ़वाल में प्रचलित परंपरा है—’आलूकल्यो’।
  • किस मुगल शासक के समय में तराई क्षेत्र को ‘कुमाऊँ सरकार’ कहा जाता था अकबर।

Gk of Uttarakhand-1 उत्तराखण्ड सामान्य ज्ञान

  • किस पुस्तक में पर्वताकार राज्य को गिरियावली कहा गया है— एंजियोग्राफी इंडिया (युप्ते) ।
  • उत्तराखंड के मध्यकालीन भू-व्यवस्था के अंतर्गत जंगल को साफ करके वर्षाकालीन मोटे अन्नों व दलहनों की कृषि हेतु तैयार की गई बंजर भूमि को कहा जाता था—’इजर’ या ‘इजरान’।
  • गढ़वाल में केवल पितरों के श्राद्ध के अवसर पर ही बनाई जानेवाली चावल की खीर को कहा जाता है—’तस्मै’।
  • अहोगंग प्रमुख केंद्र है— बौद्ध साहित्य में बौद्ध भिक्षुओं तथा स्थविरों का (हरिद्वार में ) ।
  • कटारमल के सूर्य मंदिर की तुलना की जाती है— कोणार्क के सूर्य मंदिर से ।
  • कोलंबो से अल्मोड़ा’ पुस्तक है—स्वामी विवेकानंद की।
  • अशोकचल्ल को उसकी किस कृति में अशोकमल्ल कहा गया है— नृत्याध्याय ।
  • 6 स्तंभों पर खड़ा, 15 फिट ऊँचा शिवालय है—अष्टवक्रा महादेव (पौड़ी जनपद) ।
  • किस देवी को यक्षिणीदेवी भी कहा जाता है— जाखनदेवी (अल्मोड़ा)।
  • ‘अरसा’ या ‘अर्शा’ है— गढ़वाल का लोकप्रिय व्यंजन।
  • अपहरण तथा सहपलायन विवाह सर्वमान्य रूप से प्रचलित था— उत्तराखंड के पूर्वी शौका वर्ग में।
  • सवा लाख शिखरों का देश कहा गया है—खषदेश को।
  • ‘अस्का’ है— जौनसार-जौनपुर का एक विशिष्ट भोज्य 4 व्यंजन, जिसे ‘अस्कया’ भी कहा जाता है।
  • ‘असुरचूल’ के नाम से जाने जानेवाले दो पर्वत हैं—आगर और बनागर (पिथौरागढ़) ।
  • उत्तराखंड के कुमाऊँ मंडल में ‘कोजागरी पूर्णिमा’ कहा जाता है—शरद् पूर्णिमा को।
  • चंद शासनकालन में काली कुमाऊँ क्षेत्र को राजा त्रिमलचंद के द्वारा कितने भागों में बाँटा गया था— चार आलों (प्रशासनिक इकाइयों) म
  • गढ़वाली जनसमाज में ‘उखेलभेद’ से तात्पर्य है— तांत्रिक अनुष्ठान (टोना-टोटका) ।
  • सैद्वाली तंत्र-मंत्र का प्रयोग मुस्लिम भूत-प्रेतों को भगाने के लिए किया जाता है जबकि सिद्धाली तंत्र-मंत्र का प्रयोग सिद्धों तथा नाथों के लिए किया जाता है।
  • वेदों में केदार क्षेत्र से लेकर नेपाल तक के संपूर्ण क्षेत्र को किस नाम से अभिहित किया गया है— हेमवंत ।
  • एवरेस्ट पर सफल आरोहण करनेवाली प्रथम भारतीय महिला बछेंद्री पाल की जन्मस्थली है—नाकुरी (उत्तरकाशी)
  • कुमाऊँ की किन पाँच पट्टियों से नंदादेवी जैसी अति उच्च चोटी दक्षिण दिशा में दृष्टिगत होंगी-दानपुर, चौदास, व्यास, दारमा और जोहार पट्टियों से।
  • अलकनंदा नदी का उद्गम स्थल है सत्यपथताल अथवा संतोपंथ ताल (चमोली) ।
  • सरताल स्थित है— उत्तरकाशी में।
  • भगवान शिव को समर्पित कौन-सी गुफा गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग में स्थित है—वशिष्ट गुफा।
  • ‘कुचियादेव उड्यार’ नामक विशाल गुफा स्थित है अस्कोट (पिथौरागढ़)।
  • हाथियों की सैरगाह के रूप में प्रसिद्ध उत्तराखंड का वन्य जीव विहार स्थित है सोन नदी वन्य जीव विहार (लैंसडाउन, पौड़ी गढ़वाल) ।
  • गोविंदबल्लभ पंत उच्चस्थलीय प्राणीउद्यान के नाम से प्राणीउद्यान स्थित है— कुमाऊँ मंडल के नैनीताल जनपद में उसके मुख्यालय में।
  • किस झील की स्थापना तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के द्वारा संरक्षित एक आरक्षित वन्य जीव विहार के रूप में की गई— झिलमिल झील (14 अगस्त, 2005 में हरिद्वार के निकट) ।
  • चमोली में स्थित किस देवस्थलीय क्षेत्र को विश्वकर्मा की कर्मस्थली माना जाता है – उर्गम।
  • उत्तराखंड में हरिबोधिनी एकादशी के दिन मनाया जानेवाला पशुत्सव कुमाऊँ में ‘बल्दिया एकाश’ तथा गढ़वाल में ‘एगास’ नाम से जाना जाता है।
  • एकेश्वर महादेव है—केदारखंड के पाँच शिवपीठों में प्रसिद्ध देवालय (पौड़ी) ।

Gk of Uttarakhand-1 उत्तराखण्ड सामान्य ज्ञान

  • एरवाल शब्द का प्रयोग किया जाता है—गढ़वाल में आयोजित की जानेवाली दिवारा (देवयात्रा) के संदर्भ में देशभक्तों के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
  • ऐड़ी की जागर गाथा के अनुसार ‘ऐड़ी’ और ‘ब्यान’ को क्रमशः किसका अवतार माना जाता है—अर्जुन और युधिष्ठिर का।
  • अलकनंदा की सहायक कंचनगंगा का उद्गम स्थल है माणा घाटी में अल्कापुरी के अंतर्गत कुबेर पर्वत (चमोली) ।
  • कंसमर्दिनी पीठ स्थित है— श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल) । शाक्तों के इस पुरातन पीठ की गणना गढ़वाल के सिद्धपीठों में की जाती है।
  • ‘कटकु’ तथा ‘कड़वा’ है—–— कुमाऊँ मंडल का एक वीरगाथा गान, जिसे ‘भगार’ भी कहा जाता है।
  • गढ़वाल में स्थित कटकेश्वर महादेव का मंदिर पार्वती माता के कटक (कंगन) गिरने की स्मृति में स्थापित किया गया था जो 1894 में अलकनंदा में आई बाढ़ में बह गया था।
  • स्थापत्य शिल्प में कोणार्क के सूर्य मंदिर की समता रखनेवाला कौन-सा मंदिर स्थानीय भाषा में ‘बड़ादित्य’ के नाम से जाना जाता है— कटारमल का सूर्य मंदिर (अल्मोड़ा)।
  • कठियानीगाड़ तथा महाकली नदी के संगम पर स्थित है— कठनियांदेव का देवस्थल (झूलाघाट, पिथौरागढ़ ) ।
  • ‘उद्धव चौंरी’ भगवान कृष्ण के सखा उद्धव जी को समर्पित बदरीनाथ धाम का एक पवित्र देवस्थल है। ‘उफराई’ (उखराई) देवी का मंदिर स्थित है—नौटी (चमोली) में ।
  • ‘उबेद’ है—एक तांत्रिक अनुष्ठान। इस अनुष्ठान को जौनसार में ‘करेबंधन’ तथा कुमाऊँ में ‘किलौंन’ कहा जाता है। यह अनुष्ठान गढ़वाल मंडल के चमोली आदि में किया जाता है।
  • किस देवालय का नाम भैरव मंदिर है—उल्का देवी (पिथौरागढ़)। इसका एक मंदिर चमोली वैरासकुंड में भी है।
  • ‘एगास’ उत्तराखंड का एक पशुत्सव है जिसे कुमाऊँ में ‘बल्दिया एकाश’ तथा गढ़वाल में ‘एगास’ कहा जाता है।
  • ‘ओवलिया’ लोकदेवता उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में पूजे जानेवाले लोकदेवता हैं। माना जाता है कि ये कुमाऊँ के बहुपूजित लोकदेवता ‘हरु’ के अनुयायी हैं।
  • चमोली में देवयात्रा के रूप में मनाया जानेवाला लोकनाट्य ‘औसर’ है।
  • ‘केशोराय मठ’ श्रीनगर (गढ़वाल) में स्थित है। इसे महिपति शाह द्वारा 1625 में स्थापित किया गया था। नागदेवता कर्कोटक का पूजन स्थल ‘कर्कोटक’ भीमताल ‘कापा’ कुमाऊँ का भोज्य व्यंजन है। इसे गढ़वाल में ‘कापलो’ कहा जाता है।
  • अल्मोड़ा में स्थित करगेत ग्राम अपने एक छोटे-से बद्रीनाथ मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
  • कामेत पर्वत (चमोली) के अंतर्गत देवताल, हेमकुंड, काकभुष्ण्डी ताल और विष्णुगंगा नदी का उद्गम होता है।

Gk of Uttarakhand-1 उत्तराखण्ड सामान्य ज्ञान

  • देहरादून स्थित ‘काकशिला’ (कालसी) का पता सबसे पहले 1860 में फोरेस्टर ने लगाया था। यह पालि लिपि में लिखा गया है।
  • कपिलेश्वर महादेव का मंदिर अल्मोड़ा में ‘कुमिया’ तथा ‘शकुनी’ के तट पर स्थित है। ‘स्कंदपुराण’ के मानसखंड में इसे ‘कपिलेश-महेश्वर’ कहा गया है। (नैनीताल) में स्थित है।
  • कुमाऊँ जागर के अनुसार ‘कालिनारा’ को ‘हरु’ एवं ‘सेम देवता’ की माँ के रूप में चित्रित किया गया है।
  • किलकिलेश्वर महादेव मंदिर टिहरी में स्थित है।
  • ‘कुकुरालो’ कुमाऊँ में मध्यकालीन शासकों द्वारा शिकारी कुत्तों के पालन-पोषण हेतु लिया जानेवाला एक कर था। इसकी शुरुआत बाजबहादुर चंद ने की थी।
  • कुचियादेव मंदिर पिथौरागढ़ में स्थित है। कुम्हाड़ी देवी मंदिर टिहरी में स्थित है।
  • ‘कुलसारी मेला’ चमोली में लगता है। कुलसारी का सूर्य मंदिर पिंडारी नदी के किनारे स्थित है। इस मंदिर में सूर्य की गोल आकृति की मूर्ति स्थापित है।
  • ‘कैलुआ विनायक’ प्रसिद्ध नंदा राजजात यात्रा के मध्य पड़ने वाला एक स्थल है। यहाँ स्थित मंदिर गणेश जी को समर्पित है जिसे ‘कैलुआ विनायक’ कहा जाता है।
  • असुरचूला से संबंधित कोटवी देवी मंदिर पिथौरागढ़ में स्थित है। इन्हें बाणासुर की माँ माना जाता है।
  • ‘कोटिप्रयाग’ रुद्रप्रयाग की कालीमठ घाटी में मंदाकिनी व कालीगंगा के संगम पर स्थित है। कार्तिकेय मंदिर क्रोंच पर्वत (रुद्रप्रयाग) में स्थित है।
  • ‘खत’ 10-20 गाँवों का एक समूह है। (जौनसार की भू-व्यवस्था से संबंधित पारिभाषित शब्द)
  • उत्तराखंड की कृषकीय प्रथा में निम्न वर्गीय शिल्पकार लोगों जैसे लोहार, कोली आदि को ‘खलैत’ श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है।
  • बाराही संहिता वायु पुराण में केदारखंड को ‘खसमंडल’ कहा गया है।
  • ‘खेल’ पिथौरागढ़ का एक लोकनृत्य है।
  • ‘खसरा’ भू-व्यवस्था से संबंधित एक फारसी शब्द है।
  • ‘गंडकी’ चंपावत में बहने वाली एक नदी है जो बनलेख से उद्गमित होती है।
  • ‘गढ़बैराट किला’ चकराता (देहरादून) में स्थित है।
  • बिस्सू के अवसर पर लगनेवाला जौनसार भाबर का प्रसिद्ध मेला है— गनयात।
  • चंपावत जिले के देवीधुरा के बाहारी मंदिर में त्रिभुजाकार पाषाणकालीन गुफा का नाम है— गमोरी ।
  • ‘गोठीपूजा’ उत्तरकाशी में पशुपालकों द्वारा मनाया जानेवाला एक उत्सव है। उत्तराखंड के अन्य क्षेत्रों में इसे ‘गाईत्यार’ या ‘खतड़वा’ भी कहा जाता है।
  • ‘गोरख की धूनी ‘ गुरु गोरखनाथ से संबंधित है। यह स्थल चंपावत में स्थित है।
  • गोरखनाथ गुफा स्थित है—भक्तियान (श्रीनगर, गढ़वाल)।
  • गोलवक्ष पर्वत स्थित है—पौड़ी में।
  • घड़ियाल उत्सव मनाया जाता है— टिहरी के घड़ियाल धार में घड़ियाल देवता मंदिर में।
  • चंडाल कोट किला स्थित है— चंपावत में। इसे ‘चाँदकोट’ या ‘चंदकोट’ भी कहा जाता है।
  • ‘घोड़ालो’ कुमाऊँ के मध्यकालीन शासकों द्वारा अपने घोड़ों के रख-रखरखाव के लिए अनाज के रूप में लिया जानेवाला एक कर था। ‘चित्रेश्वर मेला’ चित्रेश्वर महादेव मंदिर, रानीबाग (नैनीताल) में लगता है।
  • भगवान शंकर को समर्पित ‘चोपखिया मंदिर’ पिथौरागढ़ में स्थित है।
  • ‘जखौल’ यशवंशी शासकों के लिए प्रसिद्ध क्षेत्र है। यह उत्तरकाशी में स्थित है।
  • रुद्रप्रयाग में स्थित ‘जाखदेवता मंदिर’ भगवान शिव को समर्पित है।
  • कत्यूरियों का युद्ध घोष था—’जय जिया’।
  • जौहार स्थित है— पिथौरागढ़ में गौरी व गुनखा नदियों के संगम पर।
  • पिथौरागढ़ में काली व कुटि नदियों के संगम पर 12 वर्षों के अंतराल में मनाया जानेवाला उत्सव है-जुमली हा शलो। झूठा मंदिर स्थित है— चंपावत के प्रवेश द्वार टनकपुर में। टनकपुर को बसाने का श्रेय जाता है—मिस्टर टलक को।
  • ‘ठकुरा नाच’ प्रचलित है— थारुओं में। यह नृत्य थारू समाज में युवा पुरुष वर्ग द्वारा महिलाओं के आभूषणों में किया जाता है।
  • चंदों के पशुओं के रहनेवाले स्थान को ‘ठाठ’ तथा इनकी देखरेख हेतु नियुक्त अधिकारी को ‘ठठेला’ कहा जाता था।
  • अस्कोट में प्रचलित ‘ठुलखेत’ कुमाऊँ में झोड़ा, चाचरी के समान ही प्रचलित एक नृत्यगीत है।

Gk of Uttarakhand-1 उत्तराखण्ड सामान्य ज्ञान

  • तड़ागताल (अल्मोड़ा) का अन्य नाम ‘ताराताल’ भी है।
  • जोशीमठ के नरसिंह देवता के मंदिर प्रांगण में बद्रीनाथ के कपाट खुलने से पूर्व तिमुड़िया देवता के नृत्य का आयोजन किया जाता है।
  • ‘डॉर’ गढ़वाल में प्रयुक्त एक लोकवाद्य है।
  • तीलू रौतेली के बचपन का नाम तिलोत्तमा देवी था। ‘तीलू रौतेली पेंशन योजना’ विकलांग और महिलाओं की प्रदान की जाती है।
  • तीलू रौतेली की याद में कांडा ग्राम एवं बीरोंखाल में मेला आयोजित होता है।
  • भूपसिंह रावत को ‘गोर्ला गंगु राउत’ भी कहते हैं। तिलका देवी मंदिर टिहरी में स्थित है।
  • तिलाड़ी का मैदान उत्तरकाशी में यमुना नदी के किनारे स्थित है।
  • त्रिनेत्रेश्वर मंदिर अल्मोड़ा में सुयाल व धमिया नदी के संगम पर स्थित है।
  • ‘तीनधूरा’ शब्द का प्रयोग भोटांतिक क्षेत्र के तीन दरों के लिए प्रयोग में लाया जाता है—(1) ऊँटाधूरा दर्रा, (2) जयंतीधूरा दर्रा और (3) किंगरी-बिंगरी दर्रा ।
  • ‘तुरंगबलि देवता’ टिहरी के लोकदेवता के रूप में प्रसिद्ध हैं।
  • थर– चंदशासनकालीन प्रशासनिक व्यवस्था में 4 आलों, 12 अधिकारियों के अलावा जातीय आधार पर 6 ‘थर’ भी नियुक्त किए गए थे।
  • दक्षिण काली मंदिर चमोली में स्थित है। दत्तात्रेय मंदिर उत्तरकाशी में स्थित है।
  • दुर्योधन नामक स्थल उत्तरकाशी में स्थित है।
  • देवदार के घने जंगलों से युक्त ‘देववन’ देहरादून में स्थित है।
  • दानवों का किला’ नामक स्थल चंपावत के दोनकोट में स्थित है।
  • नखुलेश्वर शिव मंदिर पिथौरागढ़ जनपद में स्थित है।
  • पिथौरागढ़ के जनजातीय क्षेत्र दारमा परगने के कृषकोत्सव का नाम ‘नगुसामो’ है। इसका शाब्दिक अर्थ कीड़ों को मारना होता है अर्थात् कृषि को हानि पहुँचानेवाले कीड़ों को समाप्त करना।
  • नलिया आदित्य मंदिर खेतीखान (चंपावत) में स्थित है।
  • ‘नाँ’ उत्तराखंड के जनजातीय (पूर्वी) वर्ग की महिलाओं द्वारा हाथों में पहना जानेवाला एक कड़ेनुमा आभूषण है।
  • ‘नागथात’ नागजाति के स्मृति चिह्न के रूप में जौनसार मे  स्थित स्थल है। यहाँ राजा बासुकी का प्रसिद्ध मंदिर है।
  • विभाण्डेश्वर का शिवालय नागार्जुन पर्वत (द्वाराहाट, अल्मोड़ा के समीप) पर स्थित है।
  • ‘नाताबंधन’ (ऐपड़), जो कि शाहवर्गीय परिवारों द्वारा रसोई घर की दीवारों पर किया जाता है, अल्मोड़ा में प्रचलित है।
  • ‘पोखू’ (पशुओं के रक्षक देवता) का मंदिर नेटवाड़ (उत्तरकाशी) में स्थित है। यहाँ रूपीन-सूपीन नदियों का संगम होता है।
  • ब्रिटिशकाल में प्रचलित गढ़वाल में कुली बेगार का अंग था-नाली बनिया।
  • ‘नैथाड़ी देवी मंदिर’ अल्मोड़ा के मासी के नैथड़ा गाँव की चोटी पर स्थित है।
  • ‘नोलू’ पशु पालकों (पिथौरागढ़ क्षेत्र) द्वारा पूजे जानेवाले लोकदेवता हैं।
  • कुमाऊँ के चंद शासकों द्वारा स्थापित न्यायालय, जिसमें जनता के विवादों को सुना व निपटाया जाता था, का नाम था—न्योवाली।
  • ‘पंचमकार’ हैं— तंत्र में प्रयुक्त पाँच वस्तुएँ (मांस, मदिरा, मत्स्य, मुद्र, मैथुन) ।
  • पंचशिला’ हैं–नारदी शिला, नारसिंही शिला, बाराही शिला, गारुडी शिला, मार्कंडेयीति शिला।
  • ‘पंचधारा’ हैं— भृगुधारा, इंद्रधारा, कूर्मधारा, प्रह्लादधारा, उर्वशी धारा ।
  • ‘पंचदेव’ हैं—आदित्य, विष्णु, हरगौरी, गणेश, कीर्तिकेय।
  • ‘पंचबली’ हैं—अज, महिष, कुक्कुट, सूकर, कुमला (पेठा) ।
  • ‘पंचकुंड’ हैं—तप्तकुंड, बाराहकुंड, नारदकुंड, ब्रह्मकुंड, सूर्यकुंड ।
  • ‘पंचक’ (पाँच नक्षत्र) हैं—धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपदा, उत्तराभाद्रपदा, रेवती।
  • ‘पंचगाई’ (पाँच गाँवों का समूह) हैं—कीमाणा, पठाली, ऊखीमठ, भटवाड़ी, चुन्नी-मंगोली।
  • ‘पंज्वारी’ (पंचजोहारी) पिथौरागढ़ के जौहार निवासियों की पाँच जातियों—ल्वाल, रहलम्वाल, हेलेम्पा, निखुर्पा और बुर्फाल—को कहा जाता है।

Gk of Uttarakhand-1 उत्तराखण्ड सामान्य ज्ञान

  • ‘पंचबीड़ी’ कुमाऊँ मंडल के मध्यकालीन शासक चंदों द्वारा स्वीकृत ब्राह्मणों का एक वर्ग था।
  • ‘पंचभैया खाल’ – इसका अर्थ है पाँच भाइयों की मृत्यु का स्मारक ‘खाल’ (पहाड़ी दर्रा) यह स्थान पौड़ी के श्रीनगर से आगे गुलाबराय चट्टी एवं नगरकोटा के मध्य पड़नेवाली एक धार पर है।
  • ‘पंचभंड्याई’ है-जौनसार भाबर की बैवा विवाह (जोजोड़ा) की एक परंपरा। इसका अर्थ है-पाँच बर्तन (थाली, लोटा, गिलास, पतीली और बाल्टी)।
  • ‘पकौड़िया’ टिहरी के जौनसार के एक लोकोत्सव का नाम है।
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