UTTARAKHAND MCQ SET-13 / चंद वंश से सम्बंधित प्रश्न
UTTARAKHAND MCQ SET-13 / चंद वंश से सम्बंधित प्रश्न माध्यम से हमने पिछले साल पूछे गए प्रश्नों को शामिल किया है । जो आपको आगामी परीक्षा के प्रश्नों के पैटर्न को समझने में सहायता करेंगे UTTARAKHAND MCQ SET-13 सभी government exams जैसे UKPSC/UKSSSC/UBTER/ POLICE/ARMY/PATWARI और उत्तराखंड में होने वाले सभी exam के लिए उपयोगी साबित होंगे ।
UTTARAKHAND MCQ SET-13 / चंद वंश से सम्बंधित प्रश्न
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Question 1 |
वीरचन्द | |
इनमे से कोई नही | |
वीणा चन्द | |
भारती चंद |
Question 2 |
ज्युलिया | |
शीर्ति | |
खैनी कपिलनी | |
कटक |
Question 3 |
जगत चंद | |
कल्याणचंद बहादुर | |
दिलीप चंद | |
संसार चंद |
Question 4 |
इंद्रचंद | |
अभयचंद | |
ज्ञानचंद | |
वीरचंद |
Question 5 |
कूत | |
मांगा | |
शाहू | |
राकिया |
Question 6 |
कल्याणचंद | |
जगतचंद | |
भारतीचंद | |
रुद्रचंद |
Question 7 |
अभयचंद | |
थोहरचंद | |
इनमें से कोई नहीं | |
सोमचंद |
Question 8 |
बाजबहादुर चंद | |
लक्ष्मीचंद | |
रुद्रचंद | |
भारतीचंद |
Question 9 |
भारतीचंद | |
सोमचंद | |
रुद्रचंद
| |
इनमें से कोई नहीं |
Question 10 |
शक्ति गुंसाई | |
बाजबहादुर चंद | |
देवीचंद | |
लक्ष्मीचंद |
Question 11 |
खिलजी | |
शाहजहां | |
फिरोजशाह | |
अकबर |
Question 12 |
Question 13 |
रुद्रचंद | |
लक्ष्मीचंद | |
भारतीचंद | |
देवीचंद |
Question 14 |
बालों कल्याणचंद | |
कल्याणचंद चतुर्थ | |
भीष्मचंद | |
थोहरचंद |
Question 15 |
रुद्रचंद | |
बाजवहादुर चंद | |
लक्ष्मीचंद | |
जगतचंदे |
Question 16 |
देवी चंद | |
जगत चंद | |
उद्योग चन्द | |
लक्ष्मी चंद |
Question 17 |
उद्योग चन्द | |
कल्याण चंद | |
ज्ञान चंद | |
देवी चंद |
Question 18 |
कल्याणचंद | |
रुद्रचंद | |
ज्ञानचंद | |
भारतीचंद |
Question 19 |
भारतीचंद | |
देवीचंद | |
लक्ष्मीचंद | |
कल्याणचंद |
Question 20 |
औरंगजेब | |
शाहजहाँ | |
जहाँगीर | |
अकबर
|
Question 21 |
मांगा | |
न्योवाली | |
कूत | |
राकिया |
Question 22 |
पूर्णचंद | |
आत्मचंद | |
संसारचंद
| |
भारतीचंद |
Question 23 |
कालू तड़ागी | |
भीम तड़ागी | |
कालू महरा | |
खतुड़वा |
Question 24 |
ज्ञान चन्द | |
दीप चन्द | |
देवी चन्द | |
अजीत चंद |
Question 25 |
इंद्रचंद | |
कर्मचंद | |
ज्ञानचंद | |
बीणाचंद |
Question 26 |
बौद्ध | |
शिव | |
जैन | |
विष्णु |
कत्यूरी वंश के पतन के पश्चात उत्तराखंड में जिस राजवंश का अभ्युदय हुआ वह चंद वंश था। चंद वंश के प्रारम्भिक राजाओं के सम्बन्ध में जानकारी का अभाव है। जनश्रुतियों के अनुसार चंद वंशी शासक सोमचन्द नाम के व्यक्ति के वंशज थे। सोमचंद इलाहाबाद के झूसी नामक स्थान का रहने वाला था। एक बार जब वह उत्तराखंड में तीर्थ यात्रा के लिए अपने साथियों के साथ आया, यात्रा के दौरान उत्तराखंड में उसकी मुलाकात, काली कुमाऊँ में शासन कर रहे कत्यूरी वंश के एक राजा से हुई। वह कत्यूरी राजा सोमचंद से इतना प्रभावित हुआ कि उसने अपनी पुत्री का विवाह उससे कर दिया तथा दहेज स्वरूप 15 बीघा भूमि दान में दी। इसके अतिरिक्त कुछ भूमि भावर क्षेत्र में दान दी। सोमचंद ने दहेज से प्राप्त भूमि में किले का निर्माण किया। यह किला राजबुंगा के नाम से जाना गया। कालान्तर में राजबुंगा चम्पावत नगर के रूप में प्रसिद्ध हुआ तथा चंद राजाओं की राजधानी बना। चम्पावत 1563 ई० तक चंद वंश की राजधानी बना रहा। सोमचंद बड़ा महत्वाकांशी व्यक्ति था। उसने अपने आसपास के क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत कर ली यह घटना किस समय घटित हुई इस सम्बन्ध में प्रमाणों का सर्वथा अभाव है। चंद वंशावली के आधार पर बी० डी० पाण्डे ने सोमचंद का काल 8वीं सदी के आसपास माना है। उनका मानना है कि सोमचंद का राज्यारोहण 700ई0 में हुआ। परन्तु इस तथ्य की पुष्टि में कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है। एक अन्य मतानुसार फ्रेजर एवं हर्षदेव जोशी का मानना है कि चंद वंश का प्रथम राजा थोहर चंद (1261-75 ई०) था, जबकि वंशावली में थोहर चंद का स्थान तेईसवाँ है। इस प्रकार चंद राज्य की स्थापना का काल विवादास्पद ही बना हुआ है लेकिन इतना तय है कि चंद वंश के प्रारम्भिक राजाओं के समय महत्वपूर्ण कार्यों का सम्पादन नहीं किया गया। इन राजाओं की स्थिति छोटे-मोटे सामन्तों की भाँति थी। वे प्रारम्भ में कत्यूरी तथा उसके पश्चात् डोटी राज्य के अधीन रहे। परन्तु चंद राजा महत्वाकांक्षी थे। धीरे-धीरे अपनी शक्ति बढ़ाते रहे तथा उचित अवसर का इंतजार करते रहे। उनकी स्थिति को मजबूत करने में महरा तथा फर्त्याल नामक स्थानीय गुटों ने महत्वपूर्ण रूपेण सहयोग दिया।
गरूड़ ज्ञान चंद (1374-1419 ई0)
गरूड़ ज्ञानचंद ने 1374 ई0 से 1419 तक राज्य किया। गरूड़ ज्ञानचंद प्रारम्भिक चंद राजाओं में सबसे महत्वपूर्ण राजा था। उसके समय की सबसे महत्वपूर्ण घटना उसके द्वारा दिल्ली सल्तनत के सुल्तान से मुलाकात थी। उसकी मुलाकात तुगलक वंश के सुल्तान से हुई थी। उसने तुगलक सुल्तान से तराई भावर की जागीर देने की प्रार्थना की। उस समय तराई भावर में रोहेलों का आधिपत्य था। रोहेलों के साथ सुल्तान के अच्छे सम्बन्ध न थे। उसने तराई भावर का क्षेत्र ज्ञानचंद को जागीर में दे दिया तथा गरूड़ की उपाधि भी उसे प्रदान की। इस प्रकार डोटी के करद होते हुए भी ज्ञानचंद के काल में चंद राज्य की सीमाओं का विस्तार हुआ।
गरूड़ ज्ञानचंद के पश्चात् उसका पुत्र हरीचंद राजा बना परन्तु राजा बनने के कुछ माह के बाद ही उसकी मृत्यु हो गयी। उसकी मृत्यु के पश्चात् उद्यान चंद ने राज्य भार सम्भाला। उसके राज्य काल में चम्पावत स्थित बालेश्वर मन्दिर के जीणर्णोद्धार का कार्य किया गया। इस कार्य में कुंज शर्मा तिवारी नामक ब्राह्मण का सहयोग महत्वपूर्ण रहा। कुंज शर्मा तिवारी गुजरात से आया ब्राह्मण था। उद्यान चंद के पश्चात् 1421 ई0 से 1423 के बीच आत्मचंद एवं हरीचंद (द्वितीय) क्रमशः राजा बने।हरीचंद (द्वितीय) की मृत्यु के पश्चात् विक्रम चंद (1423-37 ई0) राजा बना। उसके समय का एक ताम्रपत्र प्राप्त हुआ जोकि 1423 ई० में उत्कीर्ण किया गया है। यह ताम्रपत्र कुंज शर्मा नामक ब्राह्मण के नाम का है इसमें बालेश्वर मन्दिर के पुनर्निर्माण किये जाने का उल्लेख है। विक्रमचंद के अन्तिम दिनों में उसके भतीजे भारतीचंद द्वारा विद्रोह किया गया जिस कारण विक्रमचंद को गद्दी छोड़नी पड़ी। विक्रम चंद से राजगद्दी विद्रोह करके प्राप्त करने वाले भारतीय चंद ने सन् 1437 से 1450 ई तक राज्य किया। भारती चंद ने गद्दी प्राप्त करते ही अपने को या चंद राज्य को डोटी राज्य से स्वतन्त्र घोषित कर दिया। जिस कारण उसमें तथा डोटी राजा के बीच बारह वर्ष तक युद्ध चलता रहा। अंत में भारतीचंद की विजय हुई इस विजय में उसकी सहायता कटेहर के राजा द्वारा भी की गयी। इस प्रकार भारतीचंद के समय चंद राज्य स्वतन्त्र प्रभुत्व सम्पन्न राज्य बन गया। उसके समय की एक अन्य महत्वपूर्ण घटना नायक जाति की उत्पत्ति को भी माना जाता है। नायकों को चंद सैनिकों की अवैध संतान समझा जाता था। नायकों की उत्पत्ति डोटी युद्ध के समय हुई। भारतीचंद ने 1450 ई0 में राजगद्दी छोड़ दी और अपने पुत्र रत्नचंद (1450-88 ई०) को राजा बनाया।
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