अस्कोट-आराकोट अभियान 2024: महत्वपूर्ण जानकारी -
UTTARAKHAND MCQ

अस्कोट-आराकोट अभियान 2024: महत्वपूर्ण जानकारी

अस्कोट-आराकोट अभियान 2024

अस्कोट-आराकोट अभियान 2024: महत्वपूर्ण जानकारी

विषयजानकारी
यात्रा प्रारम्भ25 मई, 2024, 11 बजे सुबह, पांगू
यात्रा समाप्ति8 जुलाई, 2024, आराकोट
अभियान का यह संस्करणछठी यात्रा, अभियान का पचासवां साल
केंद्रीय विषयवस्तुस्रोत से संगम, नदियों से समाज के रिश्ते को गहराई से समझना, जलागमों का अध्ययन
अभियान में भागीदारीउत्तराखण्ड की विभिन्न संस्थाओं के कार्यकर्ता, शोधार्थी, प्राध्यापक, विद्यार्थी, पत्रकार, लेखक, रंगकर्मी, सामाजिक कार्यकर्ता
प्रमुख स्थानपिथौरागढ़, बागेश्वर, चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी, उत्तरकाशी, देहरादून
प्रमुख कार्यक्रम स्थलधारचूला, मुनस्यारी, गोपेश्वर, उत्तरकाशी, आराकोट
समाज के विभिन्न पहलुओं पर अध्ययनजल, जंगल, जमीन, खनन, बाँध, सड़क, अर्थ व्यवस्था, सामाजिक चेतना, दलित, अल्पसंख्यकों की स्थिति, पलायन, शिक्षा, चिकित्सा, इंटरनेट की पहुँच

महत्वपूर्ण तिथियाँ और स्थान

तिथिस्थानमुख्य कार्यक्रम
25 मई, 2024पांगूयात्रा की शुरुआत और शुभकामना समारोह
28 मई, 2024नारायणनगरराजकीय इंटर कालेज में समारोह
31 मई, 2024मुनस्यारीआसपास के गाँवों और स्कूलों में कार्यक्रम
5 जून, 2024कर्मीपर्यावरण दिवस में हिस्सेदारी
13 जून, 2024रैंणीचिपको आन्दोलन स्थल, गौरादेवी का गाँव
15 जून, 2024गोपेश्वरचिपको का प्रारम्भिक केन्द्र
28 जून, 2024उत्तरकाशीभूकंप प्रभावित क्षेत्र का सर्वेक्षण
8 जुलाई, 2024आराकोटसमापन समारोह

अभियान के उद्देश्य

  1. नदियों से समाज के रिश्ते को गहराई से समझना।
  2. जलागमों के मिजाज को समग्रता में जानना।
  3. पिछले पाँच दशकों में प्राकृतिक चेहरा, अर्थ व्यवस्था और सामाजिक चेतना में आए बदलावों का अध्ययन।
  4. दलित, अल्पसंख्यकों की स्थिति, पलायन, शिक्षा, चिकित्सा, सड़क, पानी, शराब तथा पर्वतीय जीवन के अन्य पक्षों की स्थिति का आकलन।
  5. उत्तराखण्ड में आर्थिक और सांस्कृतिक घुसपैठ का विश्लेषण।
  6. इंटरनेट की पहुँच और उसके प्रभाव का अध्ययन।

अस्कोट-आराकोट अभियान: इतिहास और विकास

अस्कोट-आराकोट अभियान का इतिहास 1970 के दशक से शुरू होता है, जब उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में पर्यावरणीय, सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर व्यापक ध्यान देने की आवश्यकता महसूस की गई। इस अभियान की शुरुआत डॉ. शेखर पाठक ने की थी, जो एक प्रसिद्ध इतिहासकार, लेखक और पर्यावरणविद् हैं। उन्होंने इस अभियान के माध्यम से हिमालयी क्षेत्रों में पैदल यात्राओं का आयोजन किया, जिससे स्थानीय समाज, संस्कृति और पर्यावरण के मुद्दों को समझने और समाधान खोजने में मदद मिली।

शुरुआती चरण

पृष्ठभूमि

1970 के दशक में, हिमालयी क्षेत्र कई पर्यावरणीय और सामाजिक चुनौतियों का सामना कर रहा था। जंगलों की कटाई, संसाधनों का अति दोहन, और विकास की असंतुलित नीतियों ने स्थानीय समुदायों के जीवन को प्रभावित किया। ऐसे में, एक व्यापक और समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता महसूस की गई, जो इन समस्याओं का समाधान कर सके।

प्रारंभिक प्रेरणा

डॉ. शेखर पाठक ने 1974 में पहली बार अस्कोट-आराकोट अभियान की शुरुआत की। इसका उद्देश्य हिमालयी क्षेत्र में व्यापक अध्ययन और अनुसंधान करना था, ताकि स्थानीय समुदायों के जीवन, संस्कृति और पर्यावरणीय चुनौतियों को समझा जा सके। इस अभियान के माध्यम से, उन्होंने विभिन्न गांवों और बस्तियों का दौरा किया और स्थानीय लोगों से संवाद स्थापित किया।

प्रमुख घटनाएं और गतिविधियां

पहली पदयात्रा (1974)

अस्कोट-आराकोट अभियान की पहली पदयात्रा 1974 में आयोजित की गई थी। इस यात्रा में कई शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। यात्रा के दौरान, उन्होंने विभिन्न गांवों का दौरा किया, स्थानीय समुदायों से बातचीत की, और उनके मुद्दों को समझा। इस यात्रा ने अभियान की नींव रखी और भविष्य के लिए दिशा निर्धारित की।

वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण

अभियान के दौरान, पर्यावरण संरक्षण के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया। इसमें वृक्षारोपण अभियान, जल संरक्षण के प्रयास, और वन्य जीव संरक्षण शामिल थे। इन गतिविधियों ने स्थानीय लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया और उन्हें संरक्षण के लिए प्रेरित किया।

सेमिनार और कार्यशालाएं

अभियान के विभिन्न चरणों में, पर्यावरण, समाज और संस्कृति से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर सेमिनार और कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। इन कार्यशालाओं में विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और स्थानीय समुदायों के सदस्यों ने भाग लिया और समस्याओं के समाधान के लिए विचार-विमर्श किया।

प्रमुख उपलब्धियां

जागरूकता बढ़ाना

अस्कोट-आराकोट अभियान ने स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरणीय और सामाजिक मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाई। इस अभियान ने यह दिखाया कि स्थानीय समुदायों की सहभागिता और जागरूकता से बड़े-बड़े मुद्दों का समाधान किया जा सकता है।

सामुदायिक सहभागिता

अभियान ने स्थानीय समुदायों को उनके मुद्दों के समाधान के लिए संगठित और सक्रिय किया। इससे न केवल समस्याओं का समाधान हुआ, बल्कि समुदायों की सशक्तिकरण भी हुई।

पर्यावरण संरक्षण

अभियान के प्रयासों के परिणामस्वरूप, हिमालयी क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण के विभिन्न उपाय लागू किए गए। इससे प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण हुआ और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में मदद मिली।

साहित्य और शोध

अभियान के दौरान एकत्रित की गई जानकारी और अनुभवों को विभिन्न पुस्तकों, लेखों और शोध पत्रों के माध्यम से प्रकाशित किया गया। इससे हिमालयी क्षेत्र के मुद्दों पर व्यापक दृष्टिकोण मिला और समाधान के लिए नई दिशा प्राप्त हुई।

अभियान के प्रमुख व्यक्ति

डॉ. शेखर पाठक: एक प्रमुख इतिहासकार, लेखक और पर्यावरणविद्, जिन्होंने अस्कोट-आराकोट अभियान की स्थापना की और इसे नेतृत्व प्रदान किया। उनके प्रयासों ने इस अभियान को एक व्यापक और सफल आंदोलन बना दिया।

निष्कर्ष

अस्कोट-आराकोट अभियान का इतिहास एक प्रेरणादायक कहानी है जो पर्यावरण, समाज और संस्कृति के संरक्षण के प्रति समर्पण को दर्शाता है। डॉ. शेखर पाठक और उनके सहयोगियों के प्रयासों ने इस अभियान को एक सफल और व्यापक आंदोलन बना दिया। इस अभियान ने न केवल हिमालयी क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव लाए, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया। यह अभियान आज भी उन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो पर्यावरण और समाज के प्रति जागरूक हैं और बदलाव लाने की इच्छा रखते हैं।

अस्कोट-आराकोट अभियान: 2024 यात्रा विवरण

  1. यात्रा प्रारम्भ: 25 मई, 2024, सुबह 11 बजे, पांगू
  2. यात्रा समाप्ति: 8 जुलाई, 2024, आराकोट
  3. अभियान का महत्व:
    • छठी यात्रा
    • अभियान का पचासवां साल
  4. केंद्रीय विषयवस्तु (थीम): स्रोत से संगम
    • उद्देश्य: नदियों से समाज के रिश्ते को गहराई से समझना
    • जलागमों के मिजाज को समग्रता में जानना

प्रतिभागी

  1. उत्तराखण्ड की विभिन्न संस्थाओं के कार्यकर्ता
  2. विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोधार्थी और प्राध्यापक
  3. उत्तराखंड-हिमाचल के इंटर कालेजों और हाईस्कूलों के विद्यार्थी और शिक्षक
  4. पत्रकार, लेखक, रंगकर्मी, सामाजिक कार्यकर्ता
  5. देश के अन्य हिमालय प्रेमी

यात्रा के दौरान प्रमुख गतिविधियाँ

  1. मुख्य यात्रा:
    • एक मुख्य यात्रा
    • कई टोलियों में अन्य मार्गों पर भी यात्रा सम्पन्न होगी

अध्ययन के प्रमुख बिंदु

  1. प्राकृतिक परिवर्तन:
    • जल, जंगल, जमीन, खनन, बाँध, सड़क की स्थिति
  2. अर्थव्यवस्था:
    • आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन
  3. सामाजिक चेतना:
    • सामाजिक चेतना में बदलाव
    • दलितों और अल्पसंख्यकों की स्थिति
    • सामाजिक-राजनैतिक चेतना में इजाफा
  4. आर्थिक और सांस्कृतिक घुसपैठ:
    • राज्य में घुसपैठ की स्थिति
  5. पलायन:
    • पलायन का वर्तमान रूप
  6. गाँव की स्थिति:
    • गाँव के हालात में बदलाव
  7. सुविधाएँ:
    • शिक्षा, चिकित्सा, सड़क, पानी, शराब की स्थिति
  8. पर्वतीय जीवन के अन्य पक्ष:
    • महिलाओं और बच्चों की स्थिति
    • इन्टरनेट की पहुँच

इस प्रकार, अस्कोट-आराकोट अभियान 2024 न केवल हिमालयी क्षेत्रों के पर्यावरणीय और सामाजिक पहलुओं को समझने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थानीय समुदायों के साथ संवाद स्थापित करने और उनके मुद्दों को गहराई से जानने का एक उत्कृष्ट अवसर भी प्रदान करता है।

अस्कोट-आराकोट अभियान 25 मई, 2024 मुख्य दल का कार्यक्रम

तिथिस्थानगतिविधियाँ
जिला पिथौरागढ़
25 मई, शनिवारपांगू, शंश्यै-गबला मंदिर प्रांगणसंग्रामी श्रीदेव सुमन का जन्मदिवस, यात्रा की शुरुआत और शुभकामना समारोह, तवाघाट, एलागाड़, खेला, पलपला, स्यांकुरी/तपोवन
26 मई, रविवारधारचूला, कालिका, बलुवाकोट
27 मई, सोमवारखाटी बगड़, गागरा, बिन्या गांव, ढूंगातोली, किमखोला, जौलजीबी, थाम, गर्जिया, नारायन नगर
28 मई, मंगलवारनारायणनगर10 बजे अपरान्ह राजकीय इंटर कालेज नारायणनगर में समारोह, अस्कोट, गर्जिया, बलमरा
29 मई, बुधवारचिफलतड़ा, तोली, खणपैरा, घट्टाबगड़, बरम, चामी, मणवाल, लुम्ती, छोरीबगड़
30 मई, बृहस्पतिवारबंगापानी, शिलंग, खरतोली, मवानी-द्वानी, सेरा, टांगा, मदकोट, मुनस्यारी
31 मई, शुक्रवारमुनस्यारी और आसपास के गाँवकार्यक्रम
1 जून, शनिवारहरकोट, पातालथौड़ा, कालामुनी, गिरगांव, बिर्थी-भुर्तिंग, केठी, बला
2 जून, रविवाररुगेरू खरक, गैलगाड़ी खरक, धारापानी टॉप, नामिक
जिला बागेश्वर
2 जून, रविवारकीमूबागेश्वर जिले का पहला गांव
3 जून, सोमबारछुलोरिया खरक, लमतरा खरक, भैंसिया खरक, लाहुर
4 जून, मंगलवारसूपी, तताई, गासी गांव, घुरकोट, सुमगढ़, चौड़ाथल, कैठी, कर्मी
5 जून, बुधवारकर्मीपर्यावरण दिवस में हिस्सेदारी, सुराग, पटाख, तीक, दौला, बदियाकोट
6 जून, बृहस्पतिवारबौरा खरक, बोर बलड़ा, समदर, भरड़काण्डे
7 जून, शुक्रवारराजखरकबागेश्वर जिला समाप्त
जिला चमोली
7 जून, शुक्रवारमानातोली बुग्याल, दुलाम खरक, हिमनी, घेसचमोली जिला आरम्भ
8 जून, शनिवारबलाण, मौनी खरक, आली बुग्याल/खर
9 जून, रविवारवेदिनी बुग्याल, वान, कनोल, सुतोल
10 जून, सोमवारसुतोल, पैरी, गेरी, आला
11 जून, मंगलवारपढेर गांव, रामणी, झिंझी
12 जून, बुधवारपाणा, इराणी, कुँआरीखाल, दाणू खरक, राखैली खरक, करछी
13 जून, बृहस्पतिवारढाक तपोवन, रैंणी (चिपको आन्दोलन), वापस तपोवनगौरादेवी का गाँव
14 जून, शुक्रवारबड़ा गांव, जोशीमठ, हेलंग
15 जून, शनिवारडुंगरी, बरोसी, सलड़ डुंगरा, पाताल गंगा, पीपलकोटी, हाटगांव, छिनका, गोपेश्वरचिपको का प्रारम्भिक केन्द्र
16 जून, रविवारगोपेश्वरआस पास के गांवों तथा बछेर भ्रमण, विश्राम
17 जून, सोमवारखल्ला, मण्डल, बदाकोटी, बैरागणाचिपको प्रतिरोध स्थान
18 जून, मंगलवारभैंस खरक, कांचुला खरक (कस्तूरा मृग विहार), चोपता
जिला रुद्रप्रयाग
19 जून, बुधवारताला, सारी, उसाड़ा, मस्तूरा, सिरतोला, कन्यागांव, किमाणा गांव, मक्कू, उखीमठ
20 जून, बृहस्पतिवारगुप्तकाशी, नाला, हृयूणा, नारायणकोटी, ज्यूराणी, ब्यूजगाड़, मेखण्डा, फाटाचिपको आंदोलन क्षेत्र
21 जून, शुक्रवारबड़ासू, शेरसी, रामपुर, सीतापुर, त्रिजुगीनारायण
22 जून, शनिवारमग्गू चट्टी, किंगखोलारुद्रप्रयाग जिला सीमा समाप्त
जिला टिहरी
22 जून, शनिवारराजखरकटिहरी जिला सीमा प्रारम्भ
23 जून, रविवारपंवाली खरक, दोफन्द खरक, पोबामी खरक, प्याओ खरक, गवाणा, ऋषिधार, घुत्तू
24 जून, सोमवारसांकरी, हितकूड़ा, भटगांव, बजिंगा, भैरो चट्टी, कल्दी चट्टी, भेटी, खवाड़ाभूकंप प्रभावित क्षेत्र
25 जून, मंगलवारविनकखाल, कुण्डियाला, डालगांव, तिसदमाणा, बूढ़ाकेदार
26 जून, बुधवारआगर, नेवाल गांव, मेड़टिहरी जिला सीमा समाप्त
जिला उत्तरकाशी
27 जून, बृहस्पतिवारब्रह्मपुरी, खाल, कमदउत्तरकाशी जिला सीमा आरम्भ
28 जून, शुक्रवाररक्तिया, कुमारकोट, भड़कोट, भेटियारा, दिखेली, सौड़, चौरंगीखाल, लदाड़ी, जोशियाड़ावनान्दोलन क्षेत्र
29 जून, शनिवारउत्तरकाशीभूकंप प्रभावित क्षेत्र
30 जून, रविवारउत्तरकाशीभूकम्प प्रभावित गाँवों का भ्रमण
1 जुलाई, सोमवारबड़ेथी, मातली, नाकुरी, बरसाली, गढ़, फलांचा खरक
2 जुलाई, मंगलवारराजतर, बड़कोट, कोटी बनाल, कृष्ण गांव, तुनाल्का, नौगांव
3 जुलाई, बुधवारछुड़ोली, वीणीगधेरा, चन्देला, पुरोला कस्बा
4 जुलाई, बृहस्पतिवारपुरोला गांव और आसपास के गांव
5 जुलाई, शुक्रवारअगोड़ा, मोल्टाड़ी, पीरा, जरमोलाधार, खरसाड़ी, मोरी
6 जुलाई, शनिवारपहला दल: सान्द्रा, खूनी गाड़, बडियार, हनोल, बढ़ोत्तरा
6 जुलाई, शनिवारदूसरा दल: चातरीगाड़, कोटी, कूणा, महेन्द्रथ
7 जुलाई, रविवारसैंज, ट्यूणी, पेगाटू, भारगढ़ी, कढंग, जिराड़, पन्द्राणू (हिमाचल प्रदेश)
7 जुलाई, रविवारआराकोटउत्तरकाशी जिला सीमा समाप्त
8 जुलाई, सोमवारआराकोटराजकीय इंटर कालेज में बातचीत और समापन समारोह, मुख्य मार्ग की यात्रा समाप्त

अस्कोट-आराकोट अभियान 2024 से जुड़ने के लिए आवश्यक जानकारी

पंजीकरण और संपर्क जानकारी

  1. पंजीकरण प्रक्रिया:
    • अभियान में भाग लेने के लिए पहले से पंजीकरण कराना आवश्यक है।
    • पंजीकरण फॉर्म ऑनलाइन या संबंधित संस्थाओं के कार्यालयों में उपलब्ध हो सकता है।
    • पंजीकरण शुल्क (यदि कोई हो) और आवश्यक दस्तावेजों की जानकारी पंजीकरण फॉर्म पर दी जाएगी।
  2. संपर्क व्यक्ति और संस्थाएँ:
    • अभियान से संबंधित किसी भी जानकारी के लिए निम्नलिखित संपर्क व्यक्तियों या संस्थाओं से संपर्क करें ]

तैयारी और आवश्यक वस्त्र

  1. यात्रा के लिए तैयारी:
    • अभियान के मार्ग और कार्यक्रम को ध्यान में रखते हुए शारीरिक तैयारी करें।
    • पैदल यात्रा के लिए आरामदायक और टिकाऊ जूते पहनें।
  2. आवश्यक वस्त्र और सामान:
    • हल्के और आरामदायक कपड़े
    • मौसम के अनुसार गर्म कपड़े
    • रेनकोट या छाता
    • टोपी और सनस्क्रीन
    • प्राथमिक चिकित्सा किट
    • व्यक्तिगत दवाइयाँ (यदि आवश्यक हो)
    • बैकपैक और पानी की बोतल

यात्रा के नियम और दिशा-निर्देश

  1. यात्रा के दौरान पालन किए जाने वाले नियम:
    • यात्रा के मार्गदर्शकों के निर्देशों का पालन करें।
    • स्वच्छता बनाए रखें और कचरा न फैलाएं।
    • स्थानीय वनस्पतियों और जीवों का संरक्षण करें।
    • सामुदायिक नियमों और स्थानीय संस्कृति का सम्मान करें।
  2. आपातकालीन स्थिति में:
    • आपातकालीन संपर्क नंबर हमेशा अपने साथ रखें।
    • किसी भी आपातकालीन स्थिति में तुरंत मार्गदर्शक या संबंधित संपर्क व्यक्ति को सूचित करें।

शामिल होने के प्रमुख स्थान

  • पांगू: 25 मई, 2024 को यात्रा की शुरुआत के लिए।
  • नारायणनगर: 28 मई, 2024 को मुख्य समारोह।
  • मुनस्यारी: 31 मई, 2024 को स्थानीय कार्यक्रम।
  • कर्मी: 5 जून, 2024 को पर्यावरण दिवस समारोह।
  • रैंणी: 13 जून, 2024 को चिपको आन्दोलन स्थल का दौरा।
  • गोपेश्वर: 15 जून, 2024 को चिपको के प्रारम्भिक केन्द्र का दौरा।
  • उत्तरकाशी: 28 जून, 2024 को भूकंप प्रभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण।
  • आराकोट: 8 जुलाई, 2024 को समापन समारोह।

अतिरिक्त जानकारी

  • समूह में शामिल होना:
    • यात्रा के बीच में भी जुड़ने की अनुमति है, लेकिन इसके लिए संबंधित स्थानों पर पहले से सूचित करना आवश्यक है।
    • विभिन्न स्थानों पर शामिल होने के विकल्प पंजीकरण फॉर्म पर विस्तृत रूप से दिए जाएंगे।
  • यात्रा समाप्त करने के विकल्प:
    • यदि कोई यात्री बीच में यात्रा समाप्त करना चाहता है, तो इसके लिए भी विकल्प उपलब्ध हैं। यात्रा समाप्त करने की जानकारी पहले से मार्गदर्शकों को दें।

इस जानकारी को ध्यान में रखते हुए आप अस्कोट-आराकोट अभियान 2024 से जुड़ सकते हैं और इस महत्वपूर्ण यात्रा का हिस्सा बन सकते हैं।

अस्कोट-आराकोट अभियान 2024: संभावित प्रश्न और उनके उत्तर

1. अभियान का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: अस्कोट-आराकोट अभियान का उद्देश्य नदियों और समाज के बीच के रिश्ते को गहराई से समझना, जलागमों का अध्ययन करना और पिछले पाँच दशकों में प्राकृतिक, आर्थिक और सामाजिक बदलावों का मूल्यांकन करना है।

2. इस अभियान में कौन-कौन भाग ले सकते हैं?

उत्तर: इस अभियान में उत्तराखण्ड की विभिन्न संस्थाओं के कार्यकर्ता, शोधार्थी, प्राध्यापक, विद्यार्थी, पत्रकार, लेखक, रंगकर्मी, सामाजिक कार्यकर्ता और देश के अन्य हिमालय प्रेमी भाग ले सकते हैं।

3. पंजीकरण कैसे किया जा सकता है?

उत्तर: पंजीकरण के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरना होगा या संबंधित संस्थाओं के कार्यालयों में संपर्क करना होगा। पंजीकरण शुल्क और आवश्यक दस्तावेजों की जानकारी पंजीकरण फॉर्म पर उपलब्ध होगी।

4. यात्रा की शुरुआत और समाप्ति की तिथियाँ क्या हैं?

उत्तर: यात्रा की शुरुआत 25 मई, 2024 को पांगू से होगी और समाप्ति 8 जुलाई, 2024 को आराकोट में होगी।

5. यात्रा के दौरान कौन-कौन से महत्वपूर्ण स्थान शामिल हैं?

उत्तर: यात्रा के महत्वपूर्ण स्थानों में पांगू, धारचूला, मुनस्यारी, गोपेश्वर, उत्तरकाशी, और आराकोट शामिल हैं।

6. क्या यात्रा के बीच में शामिल हुआ जा सकता है?

उत्तर: हां, यात्रा के बीच में विभिन्न स्थानों पर शामिल होने के विकल्प उपलब्ध हैं। इसके लिए संबंधित स्थानों पर पहले से सूचित करना आवश्यक है।

7. यात्रा के दौरान क्या-क्या तैयारी करनी होगी?

उत्तर: यात्रा के लिए शारीरिक तैयारी करें, आरामदायक और टिकाऊ जूते पहनें, हल्के और आरामदायक कपड़े, मौसम के अनुसार गर्म कपड़े, रेनकोट या छाता, टोपी, सनस्क्रीन, प्राथमिक चिकित्सा किट और व्यक्तिगत दवाइयाँ साथ रखें।

8. क्या यात्रा के दौरान सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम हैं?

उत्तर: यात्रा के दौरान सुरक्षा के लिए मार्गदर्शक और संबंधित संपर्क व्यक्ति उपलब्ध रहेंगे। किसी भी आपातकालीन स्थिति में तुरंत सूचित करें।

9. यात्रा के दौरान किन नियमों का पालन करना होगा?

उत्तर: यात्रा के मार्गदर्शकों के निर्देशों का पालन करें, स्वच्छता बनाए रखें, कचरा न फैलाएं, स्थानीय वनस्पतियों और जीवों का संरक्षण करें, सामुदायिक नियमों और स्थानीय संस्कृति का सम्मान करें।

10. क्या यात्रा के बीच में यात्रा समाप्त की जा सकती है?

उत्तर: हां, यदि कोई यात्री बीच में यात्रा समाप्त करना चाहता है, तो इसके लिए भी विकल्प उपलब्ध हैं। यात्रा समाप्त करने की जानकारी पहले से मार्गदर्शकों को दें।

11. क्या अभियान के लिए कोई विशेष थीम है?

उत्तर: हां, इस बार अभियान की केंद्रीय थीम ‘स्रोत से संगम’ है, ताकि नदियों से समाज के रिश्ते को गहराई से समझा जा सके और जलागमों के मिजाज को समग्रता में जाना जा सके।

12. अभियान का मुख्य लक्ष्य क्या है?

उत्तर: मुख्य लक्ष्य प्राकृतिक चेहरा, अर्थव्यवस्था, सामाजिक चेतना, दलित, अल्पसंख्यकों की स्थिति, पलायन, शिक्षा, चिकित्सा, इंटरनेट की पहुँच, और उत्तराखण्ड के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करना है।

13. यात्रा के प्रमुख गतिविधियाँ क्या हैं?

उत्तर: यात्रा के दौरान विभिन्न स्थानों पर समारोह, पर्यावरण दिवस, चिपको आन्दोलन स्थल का दौरा, भूकंप प्रभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण, और स्थानीय समुदायों के साथ बातचीत शामिल हैं।

14. क्या इस यात्रा में भाग लेने के लिए कोई विशेष शारीरिक योग्यता आवश्यक है?

उत्तर: यात्रा में शामिल होने के लिए अच्छा स्वास्थ्य और शारीरिक फिटनेस आवश्यक है क्योंकि यह एक लंबी पैदल यात्रा है। पहले से शारीरिक तैयारी करना महत्वपूर्ण है।

15. यात्रा के दौरान भोजन और आवास की व्यवस्था कैसे होगी?

उत्तर: यात्रा के दौरान भोजन और आवास की व्यवस्था स्थानीय सामुदायिक सहयोग और स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा की जाएगी। प्रतिभागियों को भी अपने साथ आवश्यक वस्त्र और सामग्री लानी चाहिए।

इन प्रश्नों और उत्तरों के माध्यम से अस्कोट-आराकोट अभियान 2024 से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी को समझा जा सकता है, जिससे भाग लेने वाले व्यक्तियों को यात्रा के लिए तैयारी करने में सहायता मिलेगी।

1उत्तराखंड current affairs quizclick here
2भेरव दत्त धुलिया पुरस्कार 2024click here
3नैनीताल आग पर ऑपरेशन बांबी बकेटclick here
4उत्तराखंड नक्षत्र सभा पहल – खगोल- पर्यटन अभियानclick here
5उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान 2023click here
✔️परमार वंश से सम्बंधित प्रश्न-MCQclick here
✔️  चंद वंश से सम्बंधित प्रश्नMCQclick here
✔️ उत्तराखंड के प्राचीन राजवंशclick here
✔️ कत्यूरी /चंद /पंवार राजवंशclick here
✔️ गोरखा शासन / गोरखा कर / प्रशासनclick here
✔️ब्रिटिश शासन / वन प्रबंधन / वन पंचायतclick here
चिपको आन्दोलन का इतिहास click here
 उत्तराखंड के पर्यटन –MCQclick here
राजनैतिक एवं प्रशासनिक MCQclick here
उत्तराखंड बजट 2023-24 Questions click here
उत्तराखंड बजट 2024-25 mcq MCQclick here
 उत्तराखंड top -30 Set -1MCQclick here
उत्तराखंड top -30 set-2MCQclick here
 उत्तराखंड top -30 set -3-MCQclick here
PRACTICE SETMCQclick here
PRACTICE SET -1MCQclick here
PRACTICE SET -2MCQclick here
PRACTICE SET -3MCQclick here
PRACTICE SET4MCQclick here
PRACTICE SET5 MCQclick here
PRACTICE SET6 MCQclick here
PRACTICE SET-MCQclick here
उत्तराखंड QUIZ click here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »
error:
Open chat
"Welcome to alggyan.in. Feel free to message us for any information you need."