UTTARAKHAND GK

उत्तराखण्ड के प्रमुख अभिलेख

उत्तराखण्ड के प्रमुख अभिलेख उत्तराखण्ड क्षेत्र की जानकारी के अभिलेखीय स्रोत- तात्कालिक अभिलेख शैलखण्ड या ताम्रपत्र उत्तराखण्ड के कई क्षेत्रों से पाए गए ये अभिलेख निम्नवत है-

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गोपेश्वर त्रिशूल अभिलेख

  • स्थिति- चमोली में स्थित रूद्रशिव के मंदिर परिसर से अभिलेख त्रिशूल प्राप्त हुआ है।
  • विशेषता- इसमें प्राचीन शासक स्कन्दनाग- विभुनाग-अंशुनाग- गणपतिनाग का नाम है।
  • नेपाली राजा अशोकचल्ल का भी नाम है।
  • प्राचीन नाम गोस्थल

कालसी शिलालेख

  • स्थिति- टॉस व यमुना नदी के संगम पर कालसी नामक स्थान पर शिलालेख प्राप्त हुआ है।
  • इस अभिलेख की खोज 1860 में जॉन फॉरेस्ट ने की थी।
  • भाषा- प्राकृत, लिपि- ब्राह्मी
  • विशेषता- इस अभिलेख में सम्राट अशोक ने घोषणा की है कि मनुष्यों एवं पशुओं की चिकित्सा की व्यवस्था की गई है।

राजकुमारी ईश्वरा का अभिलेख

  • स्थिति- देहरादून के जौनसार बाबर क्षेत्र के लाखामण्डल में स्थित कैलाश मन्दिर में स्थापित।
  • विशेषता – यमुना घाटी में यदु वंशीय (यादव वंश) के राज्य होने की जानकारी।

बागेश्वर अभिलेख

  • स्थिति बागेश्वर में स्थापित।
  • विशेषता- शिव मंदिर से कत्यूरी राजा भूदेव का लेख प्राप्त हुआ है, जिसमें 8 राजाओं का उल्लेख है।
  • इस शिलालेख के अनुसार प्रथम कत्यूरी शासक बसन्तदेव थे।

पाण्डुकेश्वर ताम्रलेख

  • स्थिति बद्रीनाथ के निकट।
  • विशेषता – पाण्डुकेश्वर मंदिर के निकट चार ताम्र पत्र प्राप्त हुए हैं जिसमें कत्यूरियों की राजधानी कार्तिकेयपुर उल्लेख है।
  • इन ताम्रलेखों का उल्लेखन ललितसूर ने करवाया था।

धारशिल – शिलालेख

  • स्थिति ऊखीमठ में स्थापित
  • विशेषता- पंवार शासक अनन्तपाल का अभिलेख।
  • गढ़वाल क्षेत्र से प्राप्त सबसे प्राचीन अभिलेख ।

कत्यूरी राजाओं के ताम्रपत्र

  • स्थिति- चम्पावत व बैजनाथ से प्राप्त हुए हैं।
  • विशेषता- राजनीतिक व्यवस्था का उल्लेख मिलता है।

मणदेव का शिलालेख

  • स्थिति- रूद्रप्रयाग जनपद गुप्तकाशी में नाला नामक स्थान पर।
  • विशेषता – ललितामाई देवी के मन्दिर समीप कत्यूरी राजवंश का शिलालेख है। जिसका निर्माण मणदेव ने करवाया था। इस अभिलेख पर सन् 1168 उत्कीर्ण है।

तालेश्वर ताम्रपत्र

  • स्थिति- अल्मोड़ा जनपद में स्थित तालेश्वर गाँव से प्राप्त ।
  • विशेषता – ब्रह्मपुर नरेश विष्णुवर्मन और द्युतिवर्मन का वर्णन ।
  • वर्तमान में यह उत्तरप्रदेश के लखनऊ संग्रहालय में है।
  • लिपि- ब्राह्मी लिपि।

बाड़ाहाट शक्ति स्तंभ

  • स्थिति- विश्वनाथ मंदिर के सामने स्थित है।
  • विशेषता- इस त्रिशूल में तीन श्लोक हैं, प्रथम श्लोक में गणेश्वर नरेश द्वारा शिव मंदिर के निर्माण का उल्लेख है। द्वितीय श्लोक में गणेश्वर के पुत्र श्री गुह का उल्लेख है। तृतीय श्लोक में गुह की शत्रुओं पर विजय करने का उल्लेख है।

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